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क्यूँ जाऊं रवि पर जब-सब कुछ है जमीं पर (मॉडर्न कविता)

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साथियो जैसा कि हम सभी जानते हैं, प्यार इंसान का एक स्वाभाविक गुण है, जो सदियों से चला आ रहा है, चल रहा है और आगे भी चलता रहेगा और इसे व्यक्त करने का हर किसी मनुष्य का अलग – अलग तरीका होता है, मगर हर बात को कहने का एक ढंग होता है, एक सलीका होता है, और प्यार को व्यक्त करने के इस  सलीके और ढंग को अभिव्यक्ति देने मैं हर युग मैं कवि, शायर, पोएट या गीतकार सबसे अग्रणी रहे हैं ! कहते हैं जहाँ न पहुंचे रवि वहाँ पहुंचे कवि, उसकी कल्पनाओं का कोई अंत नहीं होता, किन्तु कवि भी कहीं न कहीं से प्रेरणा लेता है उसकी कविता पर समाज और माहौल का बहुत गहरा असर होता है, पहले का कवि बिलकुल फुर्सत मैं रहता था और आराम से बाग – बगीचे मैं खटिया बिछा कर कविता करता था, जिससे उसकी कविता मैं प्राकर्तिक वस्तुओं का वर्णन हुआ करता था, कभी वह नायिका की तुलना चाँद से करता है, कभी ताजमहल की उपमा देता है ! किन्तु अब युग बड़ी ही गति से बदल रहा है, न वैसे कवि रहे, जो रवि की छवि अपनी कविता मैं उतार दें, न बाग़ रहे न बगिया न खाट रही न खटिया, लोगों के पास इतनी फुर्सत नहीं रही, आधुनिक युग मैं हम संचार माध्यमों की जकड मैं, इंटरनेट के मकडजाल की पकड़ मैं हैं ! ऐसे मैं प्रेमियों का काम काफी आसान हो गया है, सबसे ज्यादा कम्पूटर और नेट का फायदा ऐसे ही जोड़े उठा रहे हैं, हालांकि ऐसे माहौल मैं भी प्यार मैं कविता का अभी भी महत्तव है, और आज के प्रेमियों को भी इसका सहारा लेना पड़ जाए तो आज का कवि कैसे कविता करेगा ये सोचने की बात है 🙂 अब चूँकि मैं भी एक छोटा सा कवि हूँ, हालांकि उतना बड़ा वाला नहीं हूँ जो रवि पर पहुँच सकूँ फिर भी, जहाँ तक पहुंचा हूँ आप सबको भी वहां तक ले चलता हूँ ! दोस्तों कभी – कभी मेरे दिल मैं कवियों वाले ख्याल आते हैं, और ऐसा ही एक ख्याल मेरे दिमाग के कटोरे मैं मानसून की पहली बूँद की भांति टप्प से गिरा कि आने वाले युग मैं प्रेमी अपनी कविता के जरिये कैसे अपनी प्रेमिका को रिझाने का प्रयास करेगा ! उसके इस प्रयास को कविता के माध्यम से आप सबके समक्ष पेश कर रहा हूँ, पसंद आये तो अपनी – अपनी प्रेमिका को और न पसंद आये तो अपनी – अपनी बीबियों को अवश्य सुना देना

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Yh1Yh2

फेसबुक सा फेस है तेरा, गूगल सी हैं आँखें
एंटर करके सर्च करूँ तो बस मुझको ही ताकें
रेडिफ जैसे लाल – गाल तेरे हौटमेल से होंठ
बलखा के चलती है जब तू लगे जिगर पे चोट
सुराही दार गर्दन तेरी लगती ज्यों जी-मेल
अपने दिल के इंटरनेट पर पढ़ मेरा ई-मेल
मैंने अपने प्यार का फारम कर दिया है अपलोड
लव का माउस क्लिक कर जानम कर इसे डाउनलोड
हुआ मैं तेरे प्यार मैं जोगी, तू बन जा मेरी जोगिन
अपने दिल की वेबसाईट पर कर ले मुझको लोगिन
तेरे दिल की हार्डडिस्क मैं और कोई न आये
करे कोई कोशिश भी तो पासवर्ड इनवैलिड बतलाये
गली मोहल्ले के वाइरस (आशिक) जो तुझ पर डोरे डालें
एन्टी वाइरस सा मैं बनकर नाकाम कर दूँ सब चालें
अपने मन की मेमोरी मैं सेव तुझे रखूँगा
तेरी यादों की पैन ड्राइव को दिल के पास रखूँगा
तेरे रूप के मॉनिटर को बुझने कभी न दूँगा
बनके तेरा UPS मैं निर्बाधित पावर दूँगा
भेज रहा हूँ तुम्हे निमंत्रण फेसबुक पर आने का
तोतों को मिलता है जहाँ मौका चोंच लड़ाने का
फेसबुक की ऑनलाईन पर बत्ती हरी जलाएंगे
फेसबुक जो हुआ फेल तो याहू पर पैंग बढायेंगे
एक-दूजे के दिल का डाटा आपस मैं शेयर करायेंगे
फिर हम दोनों दूर के पंछी एक डाल के हो जायेंगे
की-बोर्ड और उँगलियों जैसा होगा हमारा प्यार
बिन तेरे मै बिना मेरे तू होगी बस बेकार
विंडो से देखेंगे दोनों इस दुनियाँ के खेल
आइकोन के डिब्बों की होगी लंबी रेल
फिर हम आजाद पंछी शादी के CPU मैं बन्ध जायेंगे
इस दुनिया से दूर डिजिटल की धरती पे घर बनायेगे
फिर हम दोनों प्यासे-प्रेमी नजदीक से नजदीकतर आते जायेंगे
जुड़े हुए थे अब तक सॉफ्टवेयर से अब हार्डवेयर से जुड जायेंगे
तेरे तन के मदरबोर्ड पर जब हम दोनों के बिट टकरायेंगे
बिट से बाइट्स, फिर मेघा बाइट्स फिर गीगा बाइट्स बन जायेंगे
ऐसी आधुनिक तकनीकयुक्त बच्चे जब इस धरती पर आयेंगे
सच कहता हूँ आते ही इस दुनिया मैं धूम मचाएंगे
डाक्टर्स और नर्स सभी दांतों तले ऊँगली दबाएंगे
जब ये बच्चे अपना राष्ट्रीय गीत औयें- औयें- नहीं
याहू – याहू चिल्लायेंगे ….. याहू-याहू चिल्लायेंगे………..
याहू – याहू चिल्लायेंगे ….. याहू-याहू चिल्लायेंगे ………

Yh4

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