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जागरण अखबार मैं देखें अपना ब्लॉग ?????

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पिछले दिनों जागरण जंक्सन पर एक ब्लॉग के शीर्षक ने मुझे आकर्षित किया, ब्लॉग का शीर्षक था “ जागरण अखबार मैं पढ़ें अपना ब्लॉग “ जिज्ञासावश इलेक्ट्रोनिक चूहे ( माउस ) की पूछ मडोरते हुए ब्लॉग पर क्लिक किया ! पढ़ना शुरू किया और पढता ही गया क्योंकि उसमे जे जे पर ब्लॉग लिखने वालों के लिए अच्छी खबर ये थी कि अब उनके ब्लॉग उनके अपने शहर के अखबार मैं प्रकाशित किये जायेंगे ! मन ही मन जागरण की इस अभूतपूर्व पहल को धन्यबाद दिया की चलिए अब हम जे जे पर अपने साथियों के चुनिन्दा और अच्छे ब्लोग्स को अखबार मैं देखेंगे, इस बात से उत्साहित होकर उसी दिन से आँख खुलते ही नजर सबसे पहले जागरण अखबार मैं विनिर्दिष्ट जगह सम्पादकीय के ठीक नीचे छपने वाले ब्लोग्स पर ठहरती जहाँ प्रतिदिन अपने मंच के ही दो साथियों के ब्लोग्स संक्षिप्त मैं उनके नाम और यूआरएल सहित प्रकाशित होते हैं, अखबार खोलने से पहले मन मैं एक रोमांच सा बना रहता है की आज किसको जे जे ने अच्छे ब्लोगर्स का दर्जा दिया है और अपने प्रतिष्ठित अखबार मैं उनका आलेख प्रकाशित किया है, पिछले लगभग दस दिनों से मेरा ये रूटीन सा बन गया है !

चूँकि हम भी जे जे पर थोडा बहुत लिखते चले आ रहे हैं और साथियों जबसे जे जे पर लिखने लगे हैं तब से हमारे साथ एक समस्या ये हो गई है कि जब भी कुछ पढ़ने बैठते हैं तो फिर उस पढ़े मैं से कुछ ऐसा खोजते है जिस पर कुछ लिखा जा सके, सो लेखक की स्वभावगत आदतानुसार मैं भी इस दरम्यान जागरण अखबार मैं प्रकाशित की समीक्षा करने बैठ गया, और अपनी समीक्षा करने के बाद मैं इस निष्कर्ष पर पहुंचा कि शायद जागरण अखबार मैं सारे के सारे वही लेख होते हैं जो की यथार्थ से जुड़े होते हैं, कल्पना वादी रचनाओं को अखबार मैं कोई जगह नहीं दी जा रही है, जबकि जागरण जंक्सन पर जो लेख होते हैं उनमे यथार्थ और कल्पना वादी दोनों लेखों को समान रूप से प्रकाशित किया जाता है ! अब आप मैं से बहुत से लोग मेरी यथार्थवादी लेख और कल्पनावादी लेख के वर्गीकरण से भ्रमित हो सकते हैं, तो ऐसे मैं ये जरुरी हो जाता है कि मेरे मन मैं इनकी क्या परिभाषा है उसको संक्षिप्त मैं व्याखित करूँ ! मेरे विचार से यथार्थवादी लेख वे होते हैं जो की राजनीतिक, सामाजिक और समसामयिक विषयों पर होते हैं जो कि देश और समाज की स्तिथि के अनुसार लिखे जाते हैं !

दूसरी ओर कल्पना वादी लेख वे होते हैं जिनमे यथार्थ मैं कुछ हुआ हो या न हुआ हो किन्तु जो हो सकता था, या हो सकता है उसकी कल्पना लेखक द्वारा की जाती हैं जिनमे मुख्य रूप से कविता और हास्य व्यंग प्रमुख है और हमारे इस मंच पर बहुत अच्छी – अच्छी कविता लिखने वाले साथी मौजूद हैं जो अपनी कल्पनाओ की उड़ानों से मंच को आन्दोलित करते रहते हैं, जिनमे मुख्य रूप से रौशनी धीर , वाहिद काशीवासी, डॉक्टर सूरज बाली, संदीप कौशिक जी जैसे साथी हैं जो अपनी रूमानी और गहरे अर्थ समझाती कविताओं से हम सबको आनंदित करते हैं, वहीँ अलका गुप्ता जी, सुमन दुबे जी, दिव्या कश्यप जी, अमिता श्रीवास्तव जी, रमेश बाजपेई जी भ्रमर जी, और शशिभूषण जी हैं, जो अपनी मिश्रित सामाजिक और देशभक्ति से पूर्ण रचनाओं से मंच पर ओज फैलाते रहते हैं, जिनकी रचनाओं को मंच पर सदा ही सराहा और प्रोत्साहित किया जाता रहा है !
इसके अलावा कल्पनाओं को एक अलग स्तर पर ले जाते हमारे मंच के सबसे लोकप्रिय साथी राजकमल जी हैं, जो इस मंच पर व्यंग को सदा जीवित रखते हैं ! संतोष सिंह जी, जिनका मूरख मंच का मंचन अपने आप मैं एक अलग ही लेखन की विद्या से हमें परिचित कराता है, अबोध बालक जी, जो भावना प्रधान मुद्दों को अपने लेखों के माध्यम से उठाते हैं, पर मुझे काफी आश्चर्य है की इन लोगों की कल्पनाओ को मंच पर तो पूर्ण प्रोत्साहन मिल रहा है और हमारे ये सभी साथी अपनी उत्कृष्ट रचनाओं के माध्यम से निरंतर जागरण जंक्सन के मंच को सुशोभित कर रहे हैं फिर ये मेरे कल्पनाशील साथी अपने नामों के साथ जागरण अखबार मैं मुझे क्यों नजर नहीं आये अब तक ?

यदि मेरी नजर से देखा जाए तो कल्पनावादी रचनाकार इस मंच पर ज्यादा महनत करता है, जो अपनी कल्पनाओं की उड़ान भरकर रचना का सृजन करता है और मंच को मौलिक रचनाएँ प्रदान करता है ! फिर ऐसी क्या वजह है की अखबार मैं मेरी नजर से अब तक कोई काव्यात्मक / सृजनात्मक रचना नहीं गुजरी ! बेशक जागरण जंक्सन ने नए और अस्थापित लेखकों के लिए जो मंच उपलब्ध कराया है वह अद्वितीय है, और इस मंच के लेखकों को देश के सबसे प्रतिष्ठित अखबार मैं स्थान देने के लिए वह बधाई का पात्र है ऐसे मैं निश्चित ही वे लोग प्रोत्साहित होंगे जिनके लेख निरंतर अखबार मैं छपते हैं किन्तु दूसरी ओर वे लोग काफी निरुत्साहित हो सकते हैं जिनके लेख सिर्फ इस बजह से स्थान न पा सकें क्योंकि वे राजनीतिक , विवादित नहीं हैं, बल्कि पूर्ण रूपेण मौलिक और सृजनात्मक है ! जो रचनाएँ वास्तविकता से परे कल्पनाओं पर आधारित हैं शायद और न जाने क्यों जागरण मंडल उचित सम्मान देने को ही तैयार नहीं है !

और अपनी ओर से काफी गहन समीक्षा करने के बाद मेरे मन मैं कुछ प्रश्न पैदा हुए जागरण की इस प्रोत्साहित करने वाली पहल के विषय मैं जिन्हें मैं जागरण जंक्सन / जागरण अखबार के माननीय संपादक मंडल के समक्ष इस विनम्र अनुरोध के साथ रखना चाहता हूँ, जिस पर यदि वे उचित समझे तो मेरे प्रश्नों और शंकाओं का समाधान करे ! साथ ही जागरण जंक्सन के जो भी साथी इन प्रश्नों को पढ़ें वे अपने विचार रखें !

क्या जागरण अखबार मैं वही लेख होते हैं जो की राजनीतिक हों ?
क्या जागरण अखबार मैं वही लेख होते हैं जो समसामायिक विषयों पर हों ?
क्या जागरण अखबार मैं वही लेख होते हैं जो ज्वलंत मुद्दों पर हों ?
क्या जागरण अखबार मैं वही लेख होते हैं जो आलोचनात्मक शैली मैं लिखे गए हों या जिनकी विषय – वस्तु विवादित हो ?

क्या जागरण संपादक मंडल की ये नीति है कि कल्पनाशीलता ( कविता / हास्य-व्यंग ) को अखबार मैं कोई स्थान नहीं दिया जायेगा ?
क्या हमारे कल्पनावादी साथियों की रचनाएँ इस स्तर की नहीं जिन्हें अन्य लेखों की तरह सम्मान दिया जाए ?
क्या सिर्फ राजनीतिक आलेख ही इस देश मैं क्रांति ला सकते हैं, समाज को दिशा दे सकते हैं, कविता नहीं ?

साथियों प्रश्न अभी और भी हैं मन मैं लेकिन वे फिर कभी !

अंत मैं यही कहना चाहूँगा की कवियों ने हर काल मैं अपनी रचनाओ से आम जन को प्रेरित किया है, और देश के प्रति अपनी जिम्मेदारी को प्रभावशाली ढंग से निभाया है ! ऐसा ही एक दृष्टान्त मुझे अपने काल के महान रचनाकार चंद बरदाई जी का याद आता है जब उन्होंने अपनी इन पंक्तियों से पृथ्वीराज चौहान जो कि युद्ध मैं अपनी ऑंखें गँवा चुके थे उन्हें उनके शत्रु मोहम्मद गौरी के बैठने का सही स्थान बता दिया था !
वे भी एक कवि थे और नमन है उनकी इन पंक्तियों और उनकी देश भक्ति को !

12 बांस, 24 गज अंगुल अष्ट प्रमान !!
ता ऊपर सुलतान है मत चूको चौहान !!

( जागरण मंच के मेरे समस्त साथियों को नव-वर्ष 2012 की हार्दिक शुभकामनायें ! )

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