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महंगाई का सरकारी ढिंगचिका ढिंगचिका रे ( व्यंग )

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दोस्तों आज देश मैं सरकारी तंत्र के द्वारा फैलाए गए भ्रस्टाचार की वजह से महंगाई अपने चरम पर पहुँच गई है! एक आम आदमी के हाथ से जरुरत की वस्तुएं भी ऐसे छूटती जा रही हैं जैसे स्लिप मैं खड़े किसी भारतीय क्रिक्केटर के हाथों से कैच छूट जाता है मगर क्रिकेट के खेल मैं कैच दोबारा पकड़ा जा सकता है किन्तु जिन्दगी के इस खेल मैं एक आम आदमी के लिए बढ़ी हुई महंगाई को पकड़ना उतना ही मुश्किल होता है जितना किसी चलती हुई ट्रेन को पकड़ना और गलती से ट्रेन के गेट का हेंडिल अगर इंसान के हाथ मैं आ जाये तो व्यक्ति के पास घिसटने के अलावा और कोई चारा नहीं रह जाता वैसा ही कुछ हाल आजकल हमारी देश की जनता का है जो महंगाई की ट्रेन के साथ घिसटती जा रही है और सरकार वजाय मंगाई की इस ट्रेन की गति कम करने के और गति बढाती जा रही है, जिसका स्पष्ट प्रमाण है अभी हाल ही मै हुई पेट्रो कीमतों मै बढ़ोत्तरी जिनमे रसोई गैस भी शामिल है !

दाम बढ़ने के बाद मैं टेलीविजन देख रहा था जिस भी समाचार चैनल पर देखो जनता सरकार को कोस रही है, बढे हुए दाम वापस लेने की दुहाई दे रही है किन्तु सरकार के कान पर जूं तक नहीं रेंगी ! ऐसे मैं जब मैंने अपने टेलीविजन का चैनल बदला तो आजकल सलमान खान की फिल्म रेड्डी फिल्म का गीत सुनाई दिया ढिंगचिका ढिंगचिका ढिंगचिका रे …. ये गाना ऐसा है की जो आजकल काफी फेमस हो रहा है न सिर्फ लोगों के बीच बल्कि हमारी सरकार मैं बैठे लोग भी इस गीत को सुनकर काफी खुश हो रहे हैं और जनता को इसी गीत को अपने शब्दों मैं ढालकर सुना रहे हैं ! आप सभी से मेरा अनुरोध है की पहले रेड्डी फिल्म का ढिंगचिका ढिंगचिका ढिंगचिका रे …. गीत ओरिजिनल गीत सुने फिर इस गीत को सरकार के नेता कैसे गा रहे हैं ये नीचे पढ़ें नहीं गायें …… और कल्पना करें सरकार के सारे मंत्री इस गीत को गा – गा कर नाच रहे हैं ………

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ढिंगचिका ढिंगचिका ढिंगचिका रे ………………………..
हो ढिंगचिका ढिंगचिका ढिंगचिका रे ………………………
बारह महीने मैं बारह तरीकों से महंगाई को बढ़ाएंगे रे……….
ढिंगचिका ढिंगचिका ढिंगचिका रे ………………………….
हो ढिंगचिका ढिंगचिका ढिंगचिका रे ………………………
जिस जनता ने वोट दिया हमें उसको खूब रुलायेंगे रे ……….
ढिंगचिका ढिंगचिका ढिंगचिका रे …………………………
हो ढिंगचिका ढिंगचिका ढिंगचिका रे ……………………… *******************************************
पेट्रोल के दाम बढ़ा देंगे इतने …….
लगने लगें ये हिमालय के जितने ……..
सारे देश से गाडी छीनकर फिर से साईकिल चलवाएंगे रे ……
ढिंगचिका ढिंगचिका ढिंगचिका रे ………………………….
हो ढिंगचिका ढिंगचिका ढिंगचिका रे ………………………. *******************************************
घर घर मैं होने लगेगा बबंडर
कर देंगे महंगा हम इतना सिलंडर
सारे देश की महिलाओं से चूल्हे फिर से जलवायेंगे रे ………
ढिंगचिका ढिंगचिका ढिंगचिका रे ………………….
हो ढिंगचिका ढिंगचिका ढिंगचिका रे …………………. *******************************************
अरे अन्ना हजारे जो जिद पर अड़ंगे ……………….
जंतर – मंतर पर गर अनशन करेंगे ………………..
उनके लोकपाल को हम मिलके सावन का झूला झुलाएंगे रे ..
ढिंगचिका ढिंगचिका ढिंगचिका रे ………………….
हो ढिंगचिका ढिंगचिका ढिंगचिका रे …………………. *******************************************
सब मिलके हम भ्रस्टाचार करेंगे
देश का पैसा विदेशों मैं भरेंगे
कालेधन का हिसाब जो मांगे तो उस पर डंडे चलवाएंगे रे ….
ढिंगचिका ढिंगचिका ढिंगचिका रे ……………………….
हो ढिंगचिका ढिंगचिका ढिंगचिका रे ……………………. *******************************************

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