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जनता जागी सरकार भागी ( कविता )

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JJSB

कि आज जैसे ही घर से बाहर निकलने को हमने कदम बढ़ाये
वैसे ही भ्रष्ट सरकार मैं शामिल एक महाभ्रष्ट मंत्री से जा टकराए
उनसे नजरें चार होते ही हम थोडा सा मुस्काये
प्रतिउत्तर मैं मंत्री जी ने भी अपने सामने के दांत हमें दिखाए
मगर आज नेताजी हमें कुछ झुंझलाए हुए से नजर आये
हम बोले मंत्रीजी, तुम इतना क्यों मुस्कुरा रहे हो ?
क्या गम है जिसको छिपा रहे हो ?
वो बोले, आप देख रहे हैं आज एक आम आदमी की बजह से देश कहाँ जा रहा है
देश की गति रोक कर जिसे देखो जंतर – मंतर पर धरने पर जा रहा है
और हमारी सरकार, को मंदिर का घंटा समझ जो चाहे बजा कर जा रहा है
अरे भई जनता को सिर्फ हमारा काला धन ही दिख रहा है
मगर देश का विकास क्यों नजर नहीं आ रहा है ?
जिसके पास कल साईकिल थी आज मोटर साईकिल
और मोटर साईकिल वाला मोटर गाडी दौड़ा रहा है
फिर भी लोग कहते हैं कि देश गर्त मैं जा रहा है
आम जनता का ये नजरिया क्या आपकी समझ मै आ रहा है ?
हम बोले, मंत्रीजी जाने दीजिये यदि हमारे दिल के शोले मुंह से बाहर आयेंगे
तो हमारा तो दिल जलेगा ही आपको भी नीचे से अंगार लगायेंगे
मंत्री जी आपको सिर्फ 15 – 20 % का विकास ही नजर आता है
मगर देश कि 80 – 85 % जनता का दर्द नहीं समझ आता है
तुम लोग गरीबों के लिए योजनाये तो रोज बनाते हो
मगर इन योजनाओं का धन विदेशी खातों मै जमा कराते हो
तुम लोग वोट के लिए जिस जनता को शीश झुकाते हो
जीतने के बाद उसी जनता को आँखें दिखाते हो
सुधर जाओ सुधर जाओ मंत्री जी अब जनता जाग रही है
कहीं ऐसा न हो आप आगे और आपके पीछे जनता जूता लेकर भाग रही है
मंत्री जी जनता के आक्रोश को फिर आप नहीं रोक पाओगे
जिसे समझते हो तुम निरीह उसी जनता के द्वारा दौड़ा – दौड़ा के मारे जाओगे
दौड़ा दौड़ा कर मारे जाओगे …………………………

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