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भ्रष्ट्राचार का रावण – Jagran Junction Forum

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“भ्रष्ट्राचार वो रावण है, जिसके एक नहीं दस शीश हैं, और हम जब भी प्रहार कर उसके एक शीश को काटते हैं, ये रावण एक नए शीश के साथ हमारे समक्ष प्रकट हो जाता है, क्योंकि ये अमर है ! ठीक वैसे ही जैसे लंकाधिपति रावण अमर था, क्योंकि उसकी नाभि मैं अमृत था और किसी को भी ये गूढ़ रहस्य ज्ञात नहीं था, किन्तु ज्यों ही प्रभु श्रीराम ने ये रहस्य जाना त्यों ही उन्होंने ब्रहमास्त्र से रावण की नाभि पर वार किया और संसार को रावण के अत्याचारों से मुक्त कराया !”

Ravan


वर्तमान परिस्तिथि मैं यदि हम देखें तो अन्ना हजारे जी भी देशवासियों के लिए भ्रष्ट्रचारी रावण का वध करने के लिए प्रभु श्री राम की तरह से ही अवतरित हुए हैं और हर्ष के बात यह है की देशवासियों को ज्ञात हो चुका है की भ्रष्ट्राचार के इस रावण की नाभि सरकार के मंत्री और अधिकारीगण ही हैं, और इनके विरुद्ध जो ब्रहमास्त्र का कार्य करने वाला है वह है लोकपाल विधेयक ! जिसे पाने के लिए ही अन्ना हजारे जी प्रयास कर रहे हैं, और इसे पाने के बाद संभवत देश की जनता को भ्रष्ट्राचार रूपी इस रावण से मुक्ति मिल सके !

लोकपाल विधेयक रूपी ब्रहमास्त्र पाने के लिए अन्ना हजारे जी ने एक ऐसा अभियान शुरू कर दिया है जिसमे सारे का सारा देश बढ़ चढ़ कर हिस्सा ले रहा है! जी हाँ आज जहाँ देखो सिर्फ एक ही चर्चा है अन्ना हजारे जी और उनके सत्याग्रह पर यकायक भारतीय जन मानस के पटल पर तेजी से उभर आया लोकपाल विधेयक ! यहाँ बताने की आवश्यकता नहीं है किस प्रकार भारतीय जनता ने अन्ना हजारे जी के इस आधुनिक गांधीवाद को दिल से समर्थन दिया, और सरकार के साथ – साथ स्वयं अन्ना के समर्थकों को भी आश्चर्य चकित कर दिया ! जितने दिनों तक अन्ना हजारे जी, अनशन पर रहे सारे देश की निगाहे उन पर लगी रही और किसी न किसी रूप मैं उनकी इस मुहिम का हिस्सा बना रही, इस बीच सरकार और अन्ना हजारे के साथ के लोगों के मध्य कई क्रमों मैं चली बातचीत के बीच अंततः सरकार और अन्ना हजारे मैं सहमति बनी और अन्ना हजारे जी का अनशन जीत के साथ टूटा ! सारी देश की जनता भ्रष्ट्राचार के विरुद्ध छेड़ी गई अन्ना हजारे जी की इस पहली जीत पर झूम उठी ! और आम जनता को ये लगने लगा की अब देश से भ्रष्ट्राचार ख़त्म हो गया समझो ! किन्तु ऐसा नहीं है अन्ना हजारे जी ने देश से भ्रष्ट्राचार की लंका दहन के लिए जो मशाल थामी है उसकी राह कितनी दुरूह है ये अब धीरे – धीरे समझ मैं आता जा रहा है !

इसके कई कारण हैं , पहला कारण अन्नाजी का ये अनशन पूर्णतः गैर राजनीतिक था, और गनीमत रही की उनके इस सत्याग्रह का राजनीतिकरण नहीं हुआ, जिसकी वजह से ही वे जनता का व्यापक समर्थन हासिल कर सके ! यधपि कुछ राजनीतिक पार्टियों, और राजनेताओं ने इस सरकार के विरुद्ध बहती बयार का लाभ उठाने की चेष्टा की थी, किन्तु उन्हें अपने मुंह की खानी पड़ी, क्योंकि जनता इस मंच पर किसी भी राजनीतिक शख्शियत को देखना चाहती ही नहीं थी, और इस सत्याग्रह ने राजनेताओं को सिरे से नकार दिया, और इसी बात को लेकर ये राजनेता बौखलाए हुए लगते हैं की ये जनता उनके प्रभाव से निकलती जा रही है ! अनशन के वक्त किसी भी नेता की हिम्मत नहीं पड़ी अन्ना और अन्ना समिति के विरुद्ध बोलने की क्योंकि यदि वे ऐसा करते तो उन्हें देश के एक विशाल जनसमूह का विरोध सहना पड़ता ! किन्तु जैसे ही उन्हें मौका मिला उन्होंने पलटवार शुरू कर दिए और,अन्ना और उनकी समिति मैं कमियां निकालनी शुरू कर दीं हैं !

अभी हाल ही मैं कुछ नेताओं द्वारा अन्ना और उनके लोकपाल विधेयक पर की गई नकारात्मक प्रतिक्रियाएं ऐसे लोगों की हताशा को ही व्यक्त करती हैं, क्योंकि वे जानते हैं की आज के युग के रावण नेता ही हैं और लोकपाल विधेयक रूपी ब्रहमास्त्र की चपेट मैं वे ही आने वाले हैं, अत: उनका इस प्रकार का रवैय्या समझा जा सकता है !

मगर देश की सारी जनता अन्ना हजारे जी के इस अभियान मैं उनके साथ है, और यही चाहती है की जल्द से जल्द अन्ना हजारे के पास लोकपाल विधयक का अस्त्र आये और वे सरकार रूपी लंका को उसमे विद्यमान रावणों सहित ध्वस्त कर दें, जिससे जनता को भ्रष्ट्राचार के इस रावण से सदा के लिए छुटकारा मिले और देश रामराज्य की स्थापना की और अग्रसर हो !

जय श्री राम

जय श्री अन्ना हजारे जी की

जय जनता जनार्दन की

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