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भारत पकिस्तान मैच V / S प्रधानमंत्री जी का आमंत्रण !

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साथियों जैसा की सभी जानते हैं की भारत मैं इस समय विश्वकप क्रिकेट का खुमार जोरों पर है, और जिस प्रकार से भारत ने पिछली 3 बार की विश्व विजेता टीम ऑस्ट्रेलिया को क्वाटर फ़ाइनल मैं पटखनी देकर सेमी फ़ाइनल मैं जगह बनाई है, उसके बाद क्रिकेट प्रेमियों को तो मानो ये लगने लगा की विश्व कप हमारी झोली मैं है, और उस पर तुर्रा ये की सेमी फ़ाइनल मैं भारत की टक्कर उसके चिर प्रतिद्वंदी पाकिस्तान से होनी है, ओह क्रिकेट प्रेमियों के लिए तो जैसे ये दिव्य स्वप्न पूरा होने जैसा है, और उस पर हमारा लोकतान्त्रिक रूप से पूर्णता उन्मुक्त मीडिया, जिसने इस मैच को इतना बहुप्रतीक्षित और बहु चर्चित बना दिया है कि इस मैच को देखने के लिए बुधवार तक का इन्तजार बहुत मुश्किल होता जा रहा है ! वैसे भी भारत जैसे देश मैं जहाँ हर दूसरा व्यक्ति क्रिकेट का एक्सपर्ट है अपने – अपने विचार देते फिर रहा है मैच के बारे मैं और क्यों न दे ये उसका अधिकार है जो देश के संबिधान ने उसे प्रदान क्या है ! क्या गरीब क्या अमीर हर कोई इस मैच का बेसब्री से इन्तजार कर रहा है !

 

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ऐसे मैं हमारे राजनेता भी कहाँ पीछे रहने वाले थे सो हमारे परम आदरणीय प्रधानमंत्री श्री मनमोहन सिंह जी ने भारत की अतिथि देवोभव की संस्कृति का अनुशरण करते हुए, पडोसी मुल्क के प्रधानमन्त्री और राष्ट्रपति को आमंत्रण दे भेजा इस मैच का आनंद लेने के लिए ! शायद इस आशा के साथ कि हमारा पडोसी मुल्क से कुछ सदभाव बढे, भाईचारा बढे ! पकिस्तान और भारत दोनों देशों के मीडिया ने माननीय प्रधानमन्त्री जी के इस आमंत्रण का काफी स्वागत किया और ये उम्मीद जताई है कि इससे 26 / 11 को मुंबई पर हुए आतंकी हमले के बाद दोनों देशों के मध्य शांति वार्ताएं जो लगभग बंद सी हो गई थीं वे फिर से शुरू हो सकें ! मगर क्या ऐसा होगा ? इसका मुझे संशय ही नहीं पूर्णता विश्वास है की कभी नहीं होगा ! क्योंकि पाकिस्तान एक ऐसा मुल्क है जो सदा हमें नीचा दिखाने की फिराक मैं रहता है, इसके लिए वह कश्मीर मैं अलगाववादियों को पनाह देता है, मानव जाति के दुश्मन कट्टरपंथियों को अपने मुल्क मैं पूरी आजादी देता है की वे जिहाद के नाम पर नौजवानों को बहका कर आतंकवादी बनाकर भारत के मासूम लोगों को अपना निशाना बनाएं ! और हम वर्षों से ये बात चीख चीख कर कह रहे हैं किन्तु अंतर्राष्ट्रीय बिरादरी अपने व्यक्तिगत हितों की वजह से सदा पाक का बचाव करता रहा है, किन्तु मुंबई मैं हुए हमले मैं पकडे गए अजमल आमेर कसाव की वजह से कहीं न कहीं विश्व बिरादरी ने भी भारत की बात किसी हद तक मानी और भारत ने उस घटना के बाद पाक पर कुछ दवाव अवश्य बनाया, अब इस दवाब का असर कहें या इश्वर की कृपया मगर मुंबई हमले के बाद से भारत मैं कोई बड़ी आतंकवादी वारदात घटित नहीं हुई ! और मेरे व्यक्तिगत विचार से ये सब इसलिए हुआ क्योंकि भारत ने इस दौरान पकिस्तान से दूरी बनाकर रखी थी ! क्योंकि जब भी हमारी ओर से कोई पहल हुई है उसके जवाव मैं भारत को कोई न कोई भितरघात ही झेलना पड़ा है, चाहे फिर वह क्रिकेट प्रेमी मुशर्रफ के द्वारा रचा गया कारगिल का चक्रव्यूह हो या मुंबई पर हुआ आतंकी हमला ! इनकी नजदीकियां भारत को कभी रास नहीं आई, क्योंकि ऐसा लगता है की वहां की सत्ता ऐसे कट्टरपंथियों के हाथ मैं चली गई है, जो भारत और पाक के बीच शांति चाहते ही नहीं है ! और जब भी उन्हें ये लगता है की ये दोनों देश करीब आने की कोशिश कर रहे हैं वे कोई न कोई बड़ी वारदात भारत मैं अंजाम देते हैं ! फिर ऐसी पहल का फ़ायदा ही क्या जिससे हमारे देश के मासूमों का लहू बहे इससे तो वह दूरी ही भली जिससे कम से कम देश मैं शांति तो है ! और वैसे भी पाकिस्तान सदा से ही हमारी सज्जनता को हमारी कोई न कोई राजनितिक कमजोरी ही समझता रहा है, और उस पर ऐसी सद्भावना रैलियों का कोई असर नहीं होने वाला ! हमें अपने प्रधानमन्त्री जी की दरियादिली पर पूर्ण भरोसा है की वे इसमें कोई न कोई आशा की किरण अवश्य ही देख रहे होंगे, मगर उतनी ही आशंका पाकिस्तान की बदनीयती पर है जो कभी भी हमारी शांति पहल पर सकारत्मक रवैया अपनाएगा !

 

मेरे विचार से माननीय प्रधानमंत्री जी ने जो निमंत्रण पाकिस्तान के राजनेताओं को भेजा है उससे बेहतर होता की हमारे प्रधानमंत्री जी, हमारे ही देश के पक्ष – विपक्ष के सारे नेताओं को एकत्र करते और उन्हें अपने साथ मैच देखने का आमंत्रण देते और संसद मैं चल रही उठा पटक की कडवी यादों को भूलकर एक दूसरे के साथ मिल बैठकर इस लाजवाव मुकाबले का आनंद उठाते, जिससे उन्हें कुछ सीख भी मिलती कि किस तरह से क्रिकेट के खिलाड़ी देश के बिभिन्न प्रान्तों से आते हैं, उनकी भाषा अलग होती है, उनकी संस्कृति अलग होती है मगर मैदान मैं जाते ही उनका लक्ष्य एक ही होता है सिर्फ अपने देश की जीत ! सांसदों की तरह खिलाडी भी लड़ते हैं जब हरभजन की गेंद पर कोई कैच छोड़ देता है या मिस फील्डिंग करता है तो वह उस खिलाड़ी पर चिल्लाता है किन्तु अगले ही पल जब कोई खिलाड़ी आउट होता है तो सारे के सारे खिलाडी एक होकर गले लगकर जश्न मनाते हैं ! क्या हमारे नेतागण भी ऐसा नहीं कर सकते जब कोई गड़बड़ हो तो उसको उजागर करे और जब कोई अच्छा कार्य यदि सरकार या अन्य नेता करे तो उसकी तारीफ करें ! आपस मैं एक दूसरे की टांग खिंचाई के स्थान पर भारतीय टीम की तरह नजर सिर्फ लक्ष्य पर रखें और देश की जिस जनता ने उन्हें इतनी आशाओं और अरमानो के साथ दिल्ली तक पहुँचाया है उसकी खुशहाली के लिए मिलजुलकर कार्य करें, और देश को सुख और समृधि का विश्वकप जितायें ! कितना सुकून मिलता देश की जनता को अगर मनमोहन सिंह जी और अटल बिहारी बाजपेई जी एक साथ मिलकर मैच देखते ! सुषमा स्वराज और सोनिया गाँधी जी एक साथ हों, और भी अन्य दलों के नेता जो अक्सर एक दूसरे पर कीचड़ उछालते नजर आते एक साथ होते ! मगर ऐसा नहीं होगा ! होगा ये की हमारे प्रधानमंत्री जी एक ऐसे देश के प्रधान मंत्री जी के साथ होंगे जो हमारा बुरा तो चाहकर भी नहीं कर सकता किन्तु हमारे देश की बेहतरी के बारे मैं तो कभी भी नहीं सोच सकता !

 

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अंत मैं फिर से आते हैं मैच पर हमें अपने देश के खिलाडियों की योग्यता पर पूर्ण विश्वास है और यदि कोई बहुत बड़ी अनहोनी नहीं हुई तो मुझे लेश मात्र भी संशय नहीं है की भारत इस मैच मैं पाकिस्तान को धूल चटा देगा ! और भारत के कप्तान महेंद्र सिंह धोनी अपनी टीम के साथ विश्वकप भी जीत लेंगे ! पूरे देश की शुभकामनायें भारत की टीम के साथ हैं, और हम भी एक बार फिर से देश की टीम को इस मैच और फ़ाइनल के लिए शुभकामनाये दें !

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