कैसा रे नसीब का लेख, झंडा चढ़ाये अंगूठा टेक ( हास्य – कविता )
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गणतंत्र दिवस की शोभा देखने जैसे ही हम सड़क पर निकल कर आये ! श्वेतधवल कुर्ता पहने हुए हमें अपने अनपढ़ भसंड नेताजी नजर आये ! हमसे नजरे चार होते ही हमारे नेताजी नई दुल्हन की तरह मुस्काये ! और उन्हें यों सजे देखकर हमारे शैतानी मन मैं भी कई प्रश्न उमड़ आये ! हमने पूछा नेता जी सुबह – सवेरे नई सज धज के साथ कहाँ जा रहे हैं ! श्वेत धवल वस्त्रों मैं हीरे की खान से निकला हुआ कोयला नजर आ रहे हैं ! नेताजी बोले जनाब आप हमारी तारीफ कर रहे हैं या मजाक उड़ा रहे हैं ! आज गणतंत्र दिवस है और हम स्कूल मैं ध्वजारोहण करने जा रहे हैं ! अरे नेताजी हम नहीं मजाक तो आप लोकतंत्र और आजादी का उड़ा रहे हैं ! जीवन मैं कभी पढने गए नहीं आज स्कूल मैं ध्वजारोहण करने जा रहे हैं ! अच्छा नेताजी आज बच्चों को भाषण मैं गणतंत्र के बारे मैं क्या बता रहे हैं ! संबिधान का कोई अनुच्छेद या हमारे मौलिक अधिकारों के बारे मैं बता रहे हैं !
अरे जनाब आप भी ये क्या अनाप – शनाप बके जा रहे हैं अरे हम ध्वजारोहण करने जा रहे हैं या लोकसभा मैं कोई बहस करने जा रहे हैं ? अरे नेताजी लोकसभा को तो आजकल आप लोग कबड्डी का अखाड़ा बना रहे हैं ! जिन्हें होना चाहिए जेलों मैं ऐसे दबंग भी अब इस अखाड़े की शोभा बढ़ा रहे हैं ! और कसम से अब तो ऐसे- ऐसे बलशाली नेता इस अखाड़े मैं आ रहे हैं कि जिन्हें देख महाबली खली भी झाड़ू लगाने बिग बॉस के घर जा रहे हैं ! और रिंग मैं शेर से दहाड़ने वाले खली मोटी डौली की डांट खा रहे हैं ! अरे जनाब आप तो न जाने किस- किस को हमारे बीच मैं ला रहे हैं ! हमारा क्या है कागज उठाकर पढ़ देंगे हमारे P A भाषण बना रहे हैं ! अच्छा देर हो रही है जनाब अब हम ध्वजारोहण करने जा रहे हैं ! नेताजी के ध्वजारोहण से हमारे मन मैं और भी सवाल आ रहे हैं ! नेताजी ने तो सुने नहीं इसलिए हम निरीह जनता को सुना रहे हैं !
हे मेरे महात्मा गाँधी जी लोकतंत्र मैं अब ये कैसे दिन आ रहे हैं ? जो गए नहीं कभी पढने वे अब ध्वजारोहण करने स्कूल जा रहे हैं ! और स्कूल वाले भी बच्चों की धूप मैं नेताजी के समक्ष परेड करवा रहे हैं ! देर से पहुँचते नेताजी के इन्तजार मैं ये नन्हे फूल खड़े – खड़े कुम्ला रहे हैं ! और पता नहीं राष्ट्रगान का मतलब भी जिन्हें, उनके आगे ये प्यारे बच्चे जन गण ………………….. गीत गा रहे हैं ! सरे आम जो लोग संबिधान की धज्जियाँ उड़ाते हैं ! अब वही लोग 26 जनवरी पर तिरंगा फेहरा रहे हैं ! लोकतंत्र की यों दुर्दशा देखकर भारत माता की आँखों मैं भी आंसू आ रहे हैं ! कर दी कुर्बान जिंदगियां शहीदों ने, मुफ्त मैं मिली आजादी का हम जश्न मना रहे हैं ! जो गए नहीं पढने कभी, वही ध्वजारोहण को स्कूल जा रहे हैं.. स्कूल जा रहे हैं ….!
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