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साथियों नमस्कार, मंच से जुड़े हर साथी को मेरी ओर से नए बर्ष की हार्दिक शुभकामनाये ! साथियो जागरण जंक्सन के फ्री टू एयर ब्लोगरों ने इस बार जाते हुए वर्ष और आते वर्ष – 2011 का जश्न कैसे मनाया इसकी जानकारी शायद आप मैं से बहुत से लोगों को नहीं हो ! इसलिए मैं एक जिम्मेदार फ्री टू एयर ब्लोगर होने के नाते आप सभी को उस पार्टी के मुख्यांश यहाँ दिखाना अपनी जिम्मेदारी समझता हूँ ! जैसे ही हमें इस पार्टी का बुलावा आया हम ऐसे पुलकित हो उठे, जैसे जमाई पहली बार अपनी ससुराल जाते वक्त खुश हो जाता है, भाई ख़ुशी हों भी क्यों न ? एक तो फ्री की पार्टी और दूसरा अपने फ्री टू एयर ब्लोगर साथियों को जिन्दा देखने का मौका ! हम तुरंत ही इस पार्टी के लिए अपने शहर झाँसी से दिल्ली की ओर ऐसे सज धज के निकले जैसे इंडियन टीम का कोई नया खिलाडी पहली बार विदेशी टूर पर जाते वक्त सजता है ! आखिरकार वेह घडी भी आ गई जब हम उस होटल के दरवाजे पर पहुँच गए जहाँ पर ये ब्लोगर मीट होने वाली थी ! अब वहां हमारी किस – किस ब्लोगर बंधु से और किस स्तिथि मैं मुलाकात हुई इसी की रोचक जानकारी आप सभी के सामने रखने का प्रयास कर रहे हैं !
जैसे ही हम होटल मैं प्रविष्ट होने वाले थे, हमारे प्रिय मित्र मिहिर से गेट पर ही हमारा भारत मिलाप हो गया ! औपचारिक बातचीत के बाद, मिहिर ने मुझसे कहा यार सचिन एक काम था तुमसे ! मैं बोला बोलो यार, क्या बात है ? यार तुम तो जानते ही हो मैंने एक नोवेल लिखा है ! हाँ हाँ “KISS ME OR KILL ME ” हां यार वही ! आज यहाँ साहित्य जगत की मशहूर हस्तियाँ शामिल होने वालीं हैं, और मैं चाहता हूँ के अपने नोवेल का प्रचार इन पर्चों के द्वारा करूँ, उसने ढेर सारे पर्चे मुझे थमा दिए, और कहा यार हम दोनों मिलकर ज्यादा से ज्यादा लोगों तक ये पर्चे पहुचाये और अपने नोवेल के बारे मैं उन्हें जानकारी दें ! मुझे थोड़ी झिझक हुई मगर मैंने कहा यार ठीक है दोस्त के लिए साला अपुन कुछ भी करेगा ! मिहिर काफी खुश हो गया और हम दोनों ख़ुशी – ख़ुशी अन्दर दाखिल हुए ! अन्दर का नजारा काफी भव्य था, काफी भीड़ जमा थी मैदान मैं ! हम दोनों ने अपना प्रचार का काम शुरू किया मिहिर बहुत तेजी से शुरू हो गया पर्चे बांटने को पढ़िए मेरा नया नोवेल “KISS ME OR KILL ME ” मगर मैं ठहरा जलेबी की तरह सीधा – साधा इंसान, किसी आदमी को तो मैं परचा दे देता था, और उससे बोल देता था मगर जैसे ही कोई लड़की आती हमारी, हिम्मत न पड़ती उससे ये कहते “KISS ME OR KILL ME ” मिहिर ने देखा तो मुझसे कहा यार सचिन, क्या कर रहे हो बाँट क्यों नहीं रहे हो ऐसे तो हमारे पर्चे आधे ही नहीं बँट पाएंगे ! हमने कहा यार मिहिर तुम्हे कोई अच्छा सा नाम नहीं मिला रखने को ? क्यों इसमें क्या बुराई है ? अरे यार तुम ठहरे फोरन रिटर्न और हम है यार छोटे से शहर के रहने वाले, यार यहाँ की लड़कियां देखकर हमारी घिघ्घी बंद हो रही है, एक तो अधिकतर अपने पुरुष मित्रों के साथ हैं ! अब हम किसी से कहें “KISS ME OR KILL ME ” तो ऐसा नहीं हो यार कोई लड़की तुम्हे KISS कर जाए और उसका BOY FREIND हमें KILL कर जाए ! अरे यार ऐसा कुछ नहीं होगा यहाँ HIGH SOCIETY मैं KISS जैसी छोटी चीज का बुरा नहीं मानता ! अभी हम दोनों की बहस चल ही रही थी, की किसी ने पीछे से मेरी पैंट खींची, सचिन भैय्या, सचिन भैय्या ! मैंने मुड़कर देखा तो एक खूबसूरत सा बच्चा खड़ा था ! मिहिर ने उसे डांटते हुए कहा जा यार यहाँ से हम लोग वैसे ही परेशान है, और तू और जाने कहाँ से आ गया ! मैंने उसे गौर से देखा अरे यार ये तो अपना अबोध है ! हाँ सही पहचाना आपने ! भइय्या मुझे ICE – CREAM खानी है ! मैंने कहा ठीक है तुझे जी भर के ICE – CREAM खिलाएंगे पहले तू भी हम लोगों के साथ पर्चे बंटवा ! ठीक है, मैंने कहा चलो यार २ से भले 3 ! मैंने अबोध को समझाया की देख पुरुषों को पर्चे मैं बाँट दूंगा और जितनी भी लड़कियां या महिलाएं मिलें तो तू उन्हें ये परचा देना और कहना पढ़िए KISS OR KILL ME ! बोला ठीक है मगर मैंने देखा कोई भी खूबसूरत लड़की इसे दिखती तो ये उससे कहता KISS ME और मेरी और इशारा करके कहता KILL HIM ! मैंने कहा अबे ये क्या कह रहा है? बोला सॉरी भाई मैं भूल गया मैं तो अबोध हूँ न ! जरा दूर चले तो अपनी आदरणीय निशाजी मिली मैंने उन्हें नमस्कार किया, अबोध को देख कर उन्होंने उसे गोदी मैं ले लिया अरे रे रे कितना प्यारा बच्चा है, किसका है ? मैंने कहा NAYE साल मैं गिफ्ट मैं मिला आपको चाहिए तो ले जाइये ! इतना सुनते ही अबोध बोला सचिन भैया मुझे सु सु आई है इतना सुनकर निशाजी ने तुरंत इसे गोदी मैं से मेरी और उछाल दिया, वो तो मैं ALLROUNDER था जो इसे कैच कर लिया ! मैंने कहा अच्छा हुआ निशाजी वर्ना ये आपकी इतनी महंगी साड़ी ख़राब कर देता ! निशाजी बोली अच्छा सचिन जी अब चलते हैं मैंने कहा अरे निशा जी ये नए साल का गिफ्ट तो लेती जाइये, मगर उन्होंने मुड कर नहीं देखा !
हम लोग आगे बढे ! वहां मैंने देखा एक जगह टेबल पर बहुत भीड एकत्र थी, मैंने पास जाकर देखा तो हमारे वकील साहब के एम् मिश्राजी, अपने चेले चपाटों के साथ खड़े उन्हें ब्लोगिंग के टिप्स दे रहे थे ! हम भी उनके पास पहुंचे नमस्कार मिश्राजी ! अरे नमस्कार भाई सचिन और सुनाओ कैसे हो, इतना कहकर वे हमारी तरफ मुखातिब हुए, फिर उन्होंने एक बड़े से बेग मैं से कुछ गिफ्ट पेक निकाले और सारे लड़कों को दिए और धीरे – धीरे से कुछ कहा ! सारे लोग उस दिशा मैं चल दिए जहाँ पर शाही जी खड़े थे ! अरे मिश्राजी क्या बात है बड़े गिफ्ट बाँट रहे हो आखिर माजरा क्या है ! वो बोले यार कुछ नहीं आजकल के लड़कों को जरा शिष्टाचार सिखा रहा था , देखो शाही जी अभी हाल ही मैं Bloger of the week बने हैं मैंने उन सबको गिफ्ट दिए के जाओं उन्हें विश करो और ये गिफ्ट भी भेंट करो ! मैंने कहा मिश्राजी बात तो आपकी सही है, मैं भी विश करना चाहता हूँ ! वो बोले तो ये लो गिफ्ट पेक और जाओ उन्हें भेंट करके आओ ! मैं भी गिफ्ट लेकर शाही जी, के पास पहुंचा उन्हें विश किया और मिश्राजी द्वारा प्रदत्त गिफ्ट उन्हें भेंट किया ! बो बोले अरे सचिन जी इसकी क्या आवश्यकता थी ! अरे सर शिष्टाचार के नाते गिफ्ट तो आपको रखना ही पढ़ेगा ! शाही जी, बड़े खुश यार इतने सारे गिफ्ट मिल गए ! मैंने कहा शाही जी क्यों न गिफ्ट खोल कर देख लिए जाएँ, मुझे भी तो पता चले आखिर आपको क्या – क्या गिफ्ट मिले ! उन्होंने कहा ठीक है चलो देखते हैं, पहला गिफ्ट खोला उसमें कंघा निकला, कोई बात नहीं दूसरा खोला उसमे भी कंघा, तीसरा चौथा …….. जितने भी खोले कंघे पे कंघे कंघे पे कंघे ! शाही साहब बड़े नाराज हो गए बोले यार ये क्या मजाक है ! मैंने कहा शाही साहब इसमें नाराजी की क्या बात है ! देते हैं कभी – कभी लोग कंघे भी देते हैं ! मगर यार २४ तो बाल हैं मेरे सर पर और २५ कंघे मिल गए अब मैं इन कंघों का करूँगा क्या ? मैंने कहा शाही जी आपकी situation पर एक situational शेर मन मैं आ रहा है इजाजत दें तो अर्ज करूँ ! खैर आप इजाजत न भी दें तो भी हम कहे देते हैं मुलायजा फरमाइए
आदाव अर्ज है ….
शाही जी को शेर सुनकर अब हम थोड़े आगे बढे मैंने कहा यार मिहिर मुझे भूख लग रही है, चलो कुछ खा का आते हैं वो वोला यार तुम मुझे पर्चे नहीं बांटने दोगे चलो चलते हैं ! जैसे ही हम खाने के स्टाल की तरफ बढे मैं क्या देखता हूँ 3 – 4 चिड़ियाँ एक जगह मंडरा रही हैं, मैंने सोचा यार ये क्या माजरा है, पास जा कर देखा तो मुझे एक थोड़ी जानी – पहचानी सी सूरत नजर आई ! थोडा दिमाग पर जोर डाला तो समझ मैं आया यार ये चिड़ियाँ किसकी हैं और उसकी मालकिन कौन है ! अरे ये तो अपने मंच की प्रतिभाशाली कवियेत्री रोशनी जी हैं ! लेकिन ये क्या पंजाबियों के बारे मैं सुना था की ये लोग खाने – पीने के बड़े शौक़ीन होते हैं आज साक्षात् देख भी लिया ! रोशनी जी एक हाथ मैं खाने की प्लेट लिए उसमे सारे आईटम खाने के जो मौजूद थे लेकर एक टेबिल पर जाकर बैठ गईं ! उनके पीछे उनकी चिड़ियाँ भी जाकर उनके कंधे पर कहीं टेबिल पर बैठ गईं, और रोशनी जी बड़े प्यार से अपनी चिड़ियों को खिलाती और कभी खुद खाती ! मैं उनके पास पहुंचा, अरे रोशनी जी, नमस्कार ! नमस्कार आपकी तारीफ ? अरे मैं मैं मैं ! अरे बो तो मैं भी देख रही हूँ मगर मैं कौन ? अरे मैं Allrounder ! अरे Allrounder हो तो Indian Team मैं जाओ, मेरा खाना क्यों ख़राब कर रहे हो ! अरे आपने पहचाना नहीं मैं सचिन देव ! ओह सचिन जी, माफ़ करना पहचान न सकी दरअसल आज आपने अपना काला चश्मा नहीं लगाया न अंधों वाला इसलिए ! अरे रोशनीजी अंधों वाला की जगह फैशन वाला कह देतीं तो कौन सा आपकी पोस्ट पर कमेन्ट कम जो जाते ! एक ही बात है सचिनजी फैशन भी तो अँधा ही होता है ! मैंने कहा ROSHNI जी आप यहाँ अकेले खाना खा रही हैं, यहाँ आपके इतने मित्र आये हुए हैं किसी के साथ कम्पनी ले लेतीं ! सचिनजी मैं अकेले कहाँ हूँ मेरी चिड़ियाँ दिखाई नहीं दे रहीं आपको, यही मेरी सच्ची साथी हैं ! मैंने कहा मतलब आपके साथ ये चिड़ियाँ दहेज़ मैं भी जाएँगी ! अच्छा है आप मजे से कविता लिखना और आपके पतिदेव आराम से चिड़ियों को दाना चुगायेंगे ! ROSHNI जी को गुस्सा आया बोली सुनिए सचिनजी डोंट बी पर्सनल ! आप जाकर किसी और का दिमाग खाइए और मुझे प्लीस खाना खाने दीजिये ! मैंने कहा रोशनी जी, आप एक उत्तम क्वालिटी की कवेत्री हैं ! वो तो आप न भी कहते तो भी मैं हूँ ही ! मिहिर बोला यार तू दुनिया पर Bouncer देता है, ये तुझ पर ही Bouncer दिए जा रही हैं ! मैंने कहा अच्छा लगता है इन पर भी Bouncer देना ही पड़ेगा ! मैंने कहा रोशनीजी आपकी कविताओं से प्रेरणा लेकर मैंने आप पर 4 लाइन बनाई हैं, सुनना चाहेंगी ? अगर मैं न भी चाहूं तो भी आप सुना कर रहेंगे, वर्ना फिर आप सुनाने की जगह इन्हें छाप देंगे, इसलिए यहीं सुन लेते हैं, चलिए सुनाइए ! बड़े बेमन से उन्होंने कहा ! धन्यबाद, अर्ज किया है !
इतना कहकर मैं चल पढ़ा! अरे सचिन जी, सुनिए जवाव तो सुनते जाइये ! मगर मैंने नहीं सुना, मिहिर बोला यार उनका जवाव तो सुन लो ! अबे हमारा काम दूसरों को सुनाना है, सुनते हम किसी की नहीं ! वैसे भी बहुत ही खतरनाक कवेत्री हैं वो देखा नहीं कैसे खंजर, तलवार का प्रयोग करती हैं अपनी कविताओं मैं, और खुदा इनका दीवाना है ” मेरा खुदा मेरा दीवाना ” खुदा से तो सीधे बात होती हैं उनकी ! चल निकल ले पर्चे नहीं बांटने क्या ?
हम और आगे बढे तो क्या देखा एक बढ़ी सी टेबिल के पास हमारे भ्राताश्री राजेंद्र रतूड़ी, आकाश तिवारी, धर्मेश तिवारी, भाई पियूष पन्त आशुतोष जी और बहुत सारे नई पीढ़ी के नौजवान एकत्र हैं ! हमने कहा चलो यार अपने इन भाइयों से भी मिलते हैं, जैसे ही हम आगे को बढे पियूष जी ने हमें देख लिया और उठकर हमारी ओर आये हमने हाथ मिलाया ! मैंने पूछा यार क्या चल रहा है वहां वो बोले यार सचिन जी क्या बताएं वहां सब शौकिया लोग बैठे हैं, आकाश जी शराब पर बढ़िया – बढ़िया गजल सुना रहे हैं, और रतूड़ी जी सबको 2 – 2 पेग बना रहे हैं ! मैंने कहा जनाब फिर आप क्यों उठ कर यहाँ आ रहे हैं ! बोले यार सचिन भाई एक प्रोब्लम है, हम शराब तो पीते नहीं मगर हमें सिगरेट का बड़ा शौक है, सिगरेट पीने के फायदे तो आपने पढ़ा ही होगा ! अब दिक्कत ये हो गई कि हम सिगरेट की डब्बी तो लाये हैं मगर माचिस नहीं लाये ! और यहाँ माचिस मिल नहीं रही आखिर सिगरेट जलाये कैसे ! क्या आपके पास माचिस होगी सचिन भाई ? अरे कहाँ यार हमने ये शौक पाले ही नहीं फिर भी तुम्हारी सिगरेट मैं अभी बिना माचिस के ही जला देता हूँ ! वो बोले कैसे मैंने कहा लाओ सिगरेट मुझे दो ! और मैं उस टेबल की तरफ बड़ा जहाँ राजेंद्र रतूड़ी एंड कंपनी एन्जॉय कर रही थी, मैंने दूर से ही आबाज दी भ्राताश्री ! मेरी आवाज सुनकर ये सानिया के शत्रु और मेरे परम मित्र तुरंत उठकर मेरी तरफ आये, मैंने भी आगे बढ़कर भ्राताश्री को गले लगा लिया दोनों ऐसे मिले जैसे मुन्नाभाई और सर्किट ! पियूष जी बड़े ध्यान से मुझे देख रहे थे कि आखिर सचिन भाई सिगरेट कैसे जलाते हैं ! मैंने अपने हाथ मैं ली हुई सिगरेट रतूड़ी जी के सीने से लगा दी, सिगरेट भक्क से जल उठी ! पियूष जी चकित होकर देखते रह गए मैंने कहा लो पियूष भाई पियो सिगरेट ! रतूड़ी जी बोले यार भ्राताश्री ये कमाल कैसे हुआ ? मैंने कहा क्यों भाई जब विपासा बासु जिगर से बीडी जला सकती है, तो फिर तुम जिगर से सिगरेट नहीं जला सकते, तुम क्या बिपासा बासु से भी गए गुजरे हो ? और तुम तो वैसे भी अंगार हो भाई अंगार ! पूरे शरीर मैं अंगार लिए फिरते हो और पूछते हो सिगरेट कैसे जली ! ये बात सुनकर रतूड़ी जी ने जो २ घूँट लगाई थी वो उतर गई बोले भ्राताश्री मैं अभी ४ घूँट लगाकर आता हूँ ! मगर ये यहाँ वहां भटकते रहे इन्हें मिली नहीं पीने को, अचानक मैंने देखा कोई बुरका पहनकर मुंह मैं कुछ लगाये हैं मैंने पास जाकर देखा मुझे कुछ शक हुआ बुरका उठाया उसमे आकाश जी थे, और मुंह से बोतल लगी थी मैंने कहा यार आकाश जी ये क्या हो रहा है बोले यार सचिन भाई रतूड़ी जी से परेशान हूँ ४ बोतल डकार गए इसलिए छिपा कर पी रहा हूँ ! मैंने कहा वाह भाई वाह बुर्के का ये एक और फायदा है, तुम बेकार ही यार बुर्के को कोसते रहते हो ! रतूड़ी जी तो बहां से चले गए हम और पियूष जी वहीँ खड़े थे, तभी अपने आदरणीय रमेशजी हमें दिखाई दिए ! अरे बाबूजी कैसे हैं ! अरे मजे मैं हैं, बहुत अच्छा लगा सबसे मुलाकात हो गई, खाना – पीना भी हो गया ! मगर का है कि यहाँ दिल्ली मैं सर्दी बहुत है, अब हमें ठण्ड लग रही है! सोच रहे थे कहीं थोड़ी बहुत आग मिल जाए तो हाथ पाँव सेंक ले फिर कार्यक्रम का मजा लें ! अच्छा, सिगरेट जलाने वाला कार्यक्रम हमारे Journlist भाई धर्मेश तिवारी जी भी देख रहे थे ! अब ये ठहरे Journlist इन्होने तुरंत रतूड़ी जी की अंगार वाली खबर बाबूजी को बताई बोले आइये मैं आपके हाथ – पाँव सिक्वाता हूँ न ! और धर्मेश्जी ने बाबूजी को ले जाकर रतूड़ी जी के पीछे खड़ा कर दिया ! बाबूजी ने जैसे ही अपने हाथ सके इन्हें बड़ा मजा आया ! अब बाबूजी खुद और 8 – 10 और अपने हमउम्र लोगों के साथ रतूड़ी जी के पीछे लग गए हाथ पाँव सेंकने ! रतूड़ी जी फिर मेरे पास आये यार भ्राताश्री ये क्या माजरा है, ये सब मेरे पीछे क्यों घूम रहे हैं ? मैंने कहा भूल गए ” जिगर मा बड़ी आग है ” भाई अंगारचंद देख नहीं रहे हो इतनी सर्दी पड़ रही है, किसी ने इनसे कह दिया जा पडोसी के चूल्हे से आग लै ले और ये सब आ गए तुम्हारे चूल्हे से आग लेने ! लेकिन यार एक बात तो बताओ अभी तो जाड़ा है तुम अपने अंगारे झेल जाओगे मगर भाई गर्मी मैं क्या करोगे, ये बदन के अंगारे कैसे शांत करोगे ? बोले भाई चिंता नहीं करने का अपुन पूरे बदन मैं Micro AC लगवा लेंगे और चेन से ठंडी हवा खायेंगे ! हमने कहा यार अंगारचंद तुम्हारे लिए भी चंद पंक्तियाँ पेश करनी ही पड़ेगीं ! मुलायजा फरमाए !
शेर सुनने के बाद अंगारचंद तो हिच्च – हिच्च ही ही ही करने लगे, मगर मिहिर को बड़ा गुस्सा आ रहा था मुझ पर ! बोले यार ऐसे तो हो गई मेरी Publicity बाँट लिए मैंने पर्चे तुम चल रहे हो या मैं अकेला निकलूं ! इतने मैं मैंने देखा अपने राशिद भाई अपने मुल्क का झंडा लिए चले आ रहे हैं उनके साथ थे हमारे Syed साहब ! राशिद भाई और Syed साहब से मैं मिलने लगा, तो मिहिर अकेले ही निकल पड़ा पर्चे बांटने मैंने कहा यार तू चल मैं आता हूँ, और सुन जरा ध्यान से संभाल कर बांटना ! Syed साहब एक प्लेट लिए हुए थे उसमे बड़े ही टेस्टी लड्डू रखे थे बोले ये लो सचिन भाई शादी का लड्डू खाओ और नया साल मिठास के साथ मनाओ ! जितने प्यार से उन्होंने हमें लड्डू खिलाया हमने उतने ही चाव से लड्डू खाया, मगर तभी मिहिर भागता – भागता हमारी तरफ आया ! हमने देखा यार ये क्या लफड़ा है मिहिर भाग रहा है और उसके पीछे एक लड़की सलाद काटने वाला चाकू लेकर भाग रही है ! मैंने कहा अबे मिहिर ये क्या कर दिया यार तूने वो लड़की तेरी तरफ क्यों आ रही है इतनी गुस्से मै ? उसने कहा पता नहीं यार जैसे ही मैं इस लड़की के पास गया उसे अपने नोवेल का परचा दिया ! ये बहनजी गुस्से मैं आ गई और बोली ” सब मर्द एक जैसे होते हैं ” और चाकू उठाकर मेरे पीछे दौड़ी ! यार अब मैं क्या करूँ ? मैंने कहा तू चुपचाप मेरे पीछे खड़ा हो जा ! जैसे ही वेह बहनजी थोड़ी और पास आई मैं पहचान गया ! अरे ये तो अपनी अनीता जी हैं ! उन्हें अपनी तरफ आते देख मैं जोर – जोर से चिल्लाने लगा ” सब मर्द एक जैसे होते हैं ” मुझे देख मिहिर भी चिल्लाने लगा ! और जितने साथी खड़े थे हमें देख कर वे भी चिल्लाने लगे ” सब मर्द एक जैसे होते हैं !” हम सबको यो चिल्लाते देख अनिताजी हमारे पास आकर चुप खड़ी हो गईं ! मैंने कहा क्या हुआ अनीता जी इतनी गुस्से मैं क्यों हैं ? वो बोली कुछ नहीं सचिन जी ” सब मर्द एक जैसे होते हैं ” मैंने कहा अनिताजी हम लोग भी यही कह रहे हैं ! तब उनका गुस्सा थोडा शांत हुआ, इतने मैं अबोध फिर मुझसे बोला सचिन भैय्या ICE CREAM खानी है ! मैंने अनिताजी से कहा अनीता जी आप अगर बुरा न माने तो इस बच्चे को ICE CREAM दिलवा देंगी ! अनिताजी बच्चे को देख बड़ी खुश हो गईं बोलीं बिलकुल सचिन जी मैं अभी इसे ICE CREAM दिलवा देती हूँ ! और वे खुश होती हुई वहां से चली गईं मैंने कहा चलो इस अबोध से भी पीछा छूटा ! मिहिर ने भी चेन की सांस ली ! बोला यार ये पर्चे कैसे बंटेंगे ? मैंने कहा यार मैं सब बंटवा दूंगा तू जल्दी मत कर थोडा अपने यार दोस्तों से मिल तो लेने दे, मगर इसे चेन कहाँ था ये फिर अकेला निकल लिया ” KISS ME OR KILL ME ” करता हुआ ! इस बीच मैं अपने और साथियों से मिलता रहा, तभी मिहिर फिर परेशान सा मेरे पास आया ! मैंने पूछा क्या हुआ फिर कोई पंगा हो गया क्या ? बोला यार फिर एक दिक्कत हो गई थी मगर इस बार मैंने खुद ही सुलझा ली ! मैंने कहा हुआ क्या था यार ? बोला यार एक अच्छा ख़ासा सूटेड – बूटेड शख्स मुझे अकेला खड़ा दिखाई दिया मैंने उसके पास जाकर कहा सर मेरा नोवेल पढ़िए ” KISS ME OR KILL ME ” उसने न कुछ कहा न सुना मेरा कालर पकड़ लिया और जोर – जोर से चिल्लाने लगा पहले ये बता ” कौन कहता है अकबर महान था ” ! मैंने कहा फिर तूने उससे क्या कहा ? अबे मुझे क्या मालूम कौन कहता है अकबर महान था ? फिर टू उससे बचा कैसे ? कहने लगा बो देख वहां दो लोग खड़े थे मैंने उससे कह दिया ये दोनों कह रहे थे “अकबर महान था ” उसने मुझे छोड़ दिया और उन दोनों से पूछ रहा है “कौन कहता है अकबर महान था ” वो देख तीनो कैसे लड़ रहे हैं आपस मैं ! मैंने सोचा यार नजदीक जाकर देखें आखिर ये दो शख्स कौन हैं ! जैसे ही हम उनके नजदीक पहुंचे मैंने मिहिर से कहा अबे मरवा दिया यार तूने ! चल जल्दी कल्टी मार ले यहाँ से ! क्यों क्या हुआ ? अबे पहले निकल फिर बताता हूँ ! थोड़ी दूर जाकर हम रुके, मैंने कहा अबे तूने अकबर का पता गलत बता दिया, अबे बो दोनों साधारण इंसान नहीं है, उनमे से एक है चातक जी, जो की देश के जयचंदों को ढूंढ रहे हैं, और दूसरे हैं क्रांतिकारी गरमदल के सदस्य मनोजकुमार सिंह ! अबे ये तीनों अगर मिल गए भइय्या तो अपनी महानता खतरे मैं आ जाएगी !
मिहिर ने कहा यार सचिन मुझे लगता नहीं अपने पूरे पर्चे बँट पायेंगे ! मैंने कहा यार चिंता मत कर मैं हूँ न ! बोला यार तुम कुछ नहीं कर सकते सिर्फ बाते बना सकते हो कोई Idea निकालो यार जिससे ज्यादा से ज्यादा लोगों तक हम अपने नोवेल का सन्देश पहुंचा सकें ! मिहिर की ये बात हमारे दिल पर लग गई, हमने मन मैं ठान लिया यार कुछ न कुछ तो करना ही पड़ेगा और हम एकांत मैं सोचने के लिए पार्टी स्थल से बाहर निकल आये ! मैं सोच ही रहा था की यार ये कैसे होगा इतने मैं मैंने देखा एक बारात आई हुई है उसी होटल मैं दुल्हे को घोड़े पर चढ़े देखा मेरे मन मैं एक विचार कौंधा ! जैसे ही घोड़े वाला बारात निबटा कर फ्री हुआ, मैंने उसे पकड़ा और उसे एक गाँधी वाला 500 का नोट दिया और कहा यार अपना घोडा थोड़ी देर के लिए हमें दे दो ! मिहिर की कुछ समझ मैं नहीं आ रहा था, मैंने घोडा लिया और उस पर सवार हुआ और मिहिर से कहा चल बैठ पीछे वो बोला यार तू घोडा भी चला लेता है मैंने कहा अबे मैं पिछले जन्म मैं झाँसी की रानी का सेनापति था मुझे अक्सर ऐसे सपने आते हैं तू बस पीछे बैठ और पर्चे फेंकता जा ! और 15 – 20 मिनट के अन्दर ही सारे के सारे मैदान के ४ चक्कर हमने लगा लिए मिहिर के सारे पर्चे बँट गए मिहिर बहुत खुश हुआ और लोग भी हमारे publicity के इस तरीके से खासे प्रभावित हुए ! ऐसे ही प्रभाबित होने वालों मैं से एक सज्जन थे मणिरतनम जी ! जी हाँ वही साउथ के हिट फिल्म प्रोडूसर डायरेक्टर मणिरतनम ! वे एक नई फिल्म बना रहे हैं, उसके लिए उन्हें एक खलनायक की तलाश थी ! उन्होंने मुझे बुलाया और पूछा मेरी फिल्म मैं काम करोगे ? मैंने कहा सर बिलकुल करूँगा, मगर मेरा रोल क्या होगा ! वो बोले तुम्हे मैं अपनी आने वाली फिल्म “इडली-डोसा – मिक्स समोसा ” मैं खलनायक का रोल देना चाहता हूँ अगर आप हाँ बोंले तो ! मैंने सोचा यार चलो हीरो वाली पर्सनालिटी तो वैसे भी नहीं है अपनी ! खलनायक का रोल ही कर लेते हैं ! तो मैंने हाँ कर दी इस फिल्म की कहानी कुछ यों है हेरोइन का नाम इडली है हीरो का नाम डोसा है और खलनायक याने मैं इन दोनों के प्यार के बीच मैं मिक्स हो जाता हूँ और इन दोनों को मिलने नहीं देता इसलिए मेरे नाम मिक्स समोसा है ! हैं न एक दम नई कहानी ? तो इसी खुश खबरी के साथ आप सबको नए साल की बहुत – बहुत बधाईयाँ देते हुए मैं आपसे विदा लेता हूँ ! इस गुजारिश के साथ के मेरे मित्र मिहिर का नोवेल “KISS ME OR KILL ME ” अवश्य पढ़ें, और मेरी आने वाली फिल्म “इडली – डोसा – मिक्स समोसा ” भी अवश्य देखें, जो की १ अप्रैल को रिलीज़ होगी !
आप सभी साथियों को मेरी ओर से नए वर्ष की हार्दिक शुभकामनाये !
वैधानिक चेतावनी : – ये ब्लॉग सभी साथियों को बधाई देने के लिए लिखा गया है, फिर भी अगर किसी साथी की भावना को ठेस पहुंची हो तो वेह बेशक jj पर हम
पर मुकद्दमा चला सकता है !
HAPPY NEW YEAR TO ALL MY LOVING FREIND ON JJ
मेरी और से हमारे सम्पूर्ण जागरण जंक्सन परिवार को नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाये ! धन्यबाद इस मंच का, इस मंच से जुड़े हर व्यक्ति का जिसने हम जैसे भटकते लोगों को अपने मन के विचार व्यक्त करने और उन्हें कई विद्वानों से डिस्कस करने का अवसर प्रदान किया ! नए वर्ष मैं इस मंच से कई लोग लेखन के क्षेत्र मैं नई बुलंदियों को छुएं जैसे की हमारे इसी मंच के साथी मिहिर राज ने किया है ! उनका उपन्यास KISS ME OR KILL ME जल्द प्रकाशित होने वाला है, इसके अतिरिक्त हाल ही मैं हमारे एक और साथी माननीय ओ पी पारीक जी की कविताओं का संग्रह भी प्रकाशित हुआ ! ये हम सब के लिए बड़े ही हर्ष और गर्व का विषय है की हमें ऐसे साथियों के साथ लिखने का मौका मिला !
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