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थोडा है थोड़े की जरुरत है ……….

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साथियों कल मै रात को अपनी आदतानुसार T V देख रहा था, यों ही चैनल बदलते – बदलते किसी चैनल पर मुझे एक गीत सुनाई दिया ! थोडा है थोड़े की जरुरत है, जिन्दगी फिर भी यहाँ खूबसूरत है …………. ! बड़ा ही कर्णप्रिय और अर्थपूर्ण गीत लगा मुझे, इसी गाने को आधार बनाते हुए मैं आज के परिवेश मैं इस गाने के अर्थ और इस गाने के यथार्थ जीवन मैं क्या मायने है ये ढूँढने की कोशिश करने लगा मन के अन्दर उठते प्रश्नों और उनके उत्तर के मंथन मैं जो सार निकाल सका उसी को आप सबके सामने प्रस्तुत करने का प्रयास कर रहा हूँ !

जीवन जीने के लिए हमें किन चीजों की परम आवश्यकता होती है, सांस लेने के लिए वायु, पीने के लिए पानी, खाने के लिए रोटी, पहनने के लिए कपडा और रहने के लिए मकान ! इनमें से भी हवा और पानी कुदरत हमें स्वयं ही प्रदान करती है , बाकी बची शेष रोटी, कपडा और मकान की जुगत हमें स्वयं ही करनी होती है, उसके लिए कुदरत ने हमें दो हाथ दिए है मेहनत के लिए, जिससे की हम बहुत ही आसानी से इन चीजों की भरपाई कर अपने और अपने परिवार का पोषण कर सकते हैं ! और संतोषी सर्वदा सुखी वाली कहावत चरितार्थ करते हुए अपना जीवन सुखमय बना सकते हैं ! मगर आज का मनुष्य संतोष नाम की चिड़िया को भूल चुका है, उसे किसी भी स्तर पर संतोष नहीं हो रहा है, जिसके पास जितना है उससे ज्यादा की अंधी दौड़ मैं बस भागे जा रहा है ! बिना ये जाने की आखिर ये अंधी दौड़ हमें कहाँ लिए जा रही है, आज जो हमारे पास है क्या वेह काफी नहीं और जो हमारे पास नहीं है उसे हासिल करके क्या हमें आत्मिक संतोष प्राप्त होगा !

किसी शायर ने कहा है, की पल की खबर नहीं और सामान 100 बरस का ! किस लिए इंसान धन का बेतहाशा संचय करने मैं जुटा है ! हम आज की खुशियों मैं क्यों नहीं जीते, और भविष्य के दुखों को सोच – सोच कर चिंतित होते रहते हैं ! किसके लिए हम धन एकत्र कर रहे हैं, अपने पुत्र के लिए क्यों ? अगर वेह लायक होगा तो अपना जीवन यापन करने के लिए खुद ही कमा लेगा और अगर वेह नालायक होगा तो आपका खून पसीने से कमाया गया पैसा मिटटी मैं मिला देगा ! कुछ इंसानों को बेटियों की चिंता रहती है, की इनका विवाह कैसे होगा ? कितना पैसा जमा करना होगा इसके विवाह के लिए ! तो आप सोचिये यदि आपकी बेटी का रिश्ता सही जगह तय होता है तो आप कुछ भी न दें तो भी वेह अपने ससुराल मैं सुखी से रहेगी, और अगर उसका रिश्ता लोभी परिवार मैं हुआ तो आप कुछ भी दे दें ससुराल वालों का मुंह खुला ही रहेगा और आपका कमाया हुआ धन उनकी पिपाशा कभी नहीं बुझा पायेगा ! वैसे भी जिस प्रकार से लिंगानुपात गिर रहा है और भ्रूण हत्या की जा रही है , जिनकी बेटियां हैं उन्हें चिंतित होने की आवश्यकता नहीं है, क्योंकि मेरे विचार से आगामी 15 – 20 वर्षों बाद लड़कियों की इतनी कमी हो जाएगी की उन्हें अच्छे वर मिलने मैं ज्यादा दिक्कत नहीं आएगी, जो स्तिथि आज लड़के वालों की है कल शायद वेह लड़की वालों की हो और उल्टा लड़की वाला दहेज़ मांगने लगे ! लड़के लड़की के लिए चाय – नाश्ता लेकर आयेंगे और लड़कियां उन्हें पसंद और नापसंद करेंगी !

इस विषय मैं थोडा और गहराई से सोचने के बाद मैंने पाया कि जिस व्यक्ति पर पहले साईकिल थी, वेह स्कूटर के बारे मैं सोचता था, स्कूटर आई तो मोटरसाईकिल पर नजर गढ़ा दी कुछ दिनों बाद उसे मोटर साईकिल कि गद्दी भी चुभने लगती है, अब उसे मोटर कार चाहिए ! ठीक है भाई मोटर कार ले ले उसमें भी उसे संतुष्टि नहीं है अब उसे सबसे महंगी और आधुनिक कार चाहिए आखिर उसे इन चीजों का सुख मिला कब वेह तो हमेशा ही दूसरी चीजों के बारे मैं सोचता रहा !

पहले जिस व्यक्ति के पास पंखा हुआ करता था, उसने कूलर के लिए आपा धापी की ! कूलर ले लिया तो A C की चाहत मैं उसे उसकी हवा गर्म लगने लगी अब A C लेगा तो कुछ दिन बाद इसमें भी वेह उमस महसूस करेगा फिर आखिर और किस चीज की जरुरत है !

पहले एक कमरे मैं पूरा परिवार रहता था, आज हर सदस्य के पास एक कमरा है, फिर भी वेह प्यार स्नेह नहीं है, फिर इतना सामान एकत्र करने का लाभ क्या हुआ ! पहले मा – बाप, परिवार मैं रहते थे, फिर single family का दौर आया सिर्फ पति – पत्नी और उसके बच्चे ! अब पति भी नौकरी कर रहा है, पत्नी भी नौकरी कर रही है, दोनों अलग – अलग शहर मैं रह रहे हैं सिर्फ हफ्ते मैं एक दूसरे से मिल रहे हैं Weekend Couple बढ़ते जा रहे हैं ! बच्चे हुए तो हॉस्टल मैं पढ़ कर बढे हो रहे हैं, और जब बच्चे बढे हुए और व्यक्ति बूढा हुआ तो सोचा चलो अब परिवार के साथ वक्त गुजारेंगे तब बच्चों को फुर्सत नहीं है ! फिर आखिर इतनी आपा धापी का हासिल क्या है, जिन्दगी भर अशांत रहे क्या अब भी शांति मिली……

आखिर क्यों मनुष्य थोडा है थोड़े की जरुरत है मान कर जीवन को नहीं जीता है ……….. !

खैर हमने एक और फ़िल्मी गजल सुनकर अपने मन को शांत किया

” सीने मैं जलन, आँखों मैं तूफ़ान सा क्यों है,

इस शहर मैं हर शख्स परेशान सा क्यों है “

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