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दोस्तों अभी पिछले दिनों जागरण जंक्सन पर जागरण ब्लॉग मैं माननीय मनोज रस्तोगी जी का लेख पढ़ा लेख का शीर्षक था ” कब फिरेंगे घूरे के दिन ” शीर्षक मुझे बड़ा पसंद आया शायद कुछ लोगों को यहाँ घूरे का मतलब भी नहीं मालूम हो क्योंकि अब बड़े शहरों से घूरे लगभग ख़तम से होते जा रहे हैं और उनकी जगह नगर पालिका के कचड़े दान ने ले ली है, तो ऐसे लोगों को शायद अब समझने मैं आसानी होगी की घूरा उसे कहते हैं जहाँ लोग सार्वजानिक रूप से अपना कचड़ा फेंकते है ! अब मेरी तो सोचने की आदत है, और इश्वर की कृपा से सोच भी थोड़ी गन्दी किस्म की है मैंने सोचा यार ये कहावत तो बड़ी दमदार है और हमारे पूर्वजों ने जो कहावतें बनाई हैं उनमें कहीं न कहीं सच्चाई अवश्य होती है, और ये कहावतें हर जगह लागु होती हैं, तो मैंने सोचा यार मैं जागरण मंच से इतने दिनों से दूर रहा हूँ, जब मैं यहाँ था तब यहाँ काफी लोग मुझे जानते थे और मैं इस मंच पर कुछ ऐसे घूरे मेरा मतलब ब्लोगर्स को जानता था जो हमेशा कचरे मतलब कमेन्ट के लिए रोते थे, या फिर ब्लॉग फीचर न होने का रोना रोते थे, और जिन लोगों के ब्लॉग फीचर होते थे उन पर दूसरों से लिखवाने का आरोप भी लगाते थे! आजकल मैं थोडा फुर्सत मैं हूँ तो मैंने सोचा चलो यार जागरण जंक्सन का ऐसा ही कोई घूरा मेरा मतलब है ब्लोगर ढूँढा जाए जिसके दिन बदल गए हों ! मैंने अपने अक्ल के बदमाश घोड़े दौड़ाने शुरू किये, खैर इस काम के लिए मुझे ज्यादा मशक्कत नहीं करनी पड़ी क्योंकि ऊपर जो खूबियाँ मैंने गिनाई थीं उनमें से हमारे राजकमल भाई सारी अहर्ताएं रखते थे, और मैंने पाया यार इनसे बड़ा घूरे के दिन फिरने का उदाहरण इस मंच पर ढूंढें से नहीं मिल सकता ! आजकल क्या ठाठ हैं राजकमल जी के कहाँ एक ब्लॉग फीचर होने के लिए टप – टप आंसू बहाते थे आज उनका हर ब्लॉग फीचर हो रहा है ! जब मैं गया था तब ये एक पंजाबी ढाबा थे आज five star होटल हो रहे हैं ! बकौल उनके, उनके कई ब्लॉग तो मात्र एक या दो पाठक ही पढ़ते थे मगर अब उनके ब्लॉग पर प्रतिक्रियाएं ऐसे बरस रही हैं जैसे आमिर खान की फिल्मों पर भीड़ बरसती है ! मुबारक हो भाई राजकमल जी दिन फिरने के लिए ! इन भाई की एक और खासियत थी अपने हर दूसरे ब्लॉग पर अपनी पत्नी को जरुर घसीट लाते थे, बेचारी आना चाहे तो भी और न आना चाहे तो भी! और तो और इन्होने अपनी तथाकथित पत्नी का नाम इसी मंच की एक ब्लोगर रचना जी से जोड़ी कर उनकी भी अच्छी खासी फजीहत करवाई ! इन्हें अपनी पत्नी के चरित्र पर भी बड़ा शक था हमेशा अपने 10 -12 बच्चों मैं से ८-१० को तो ये अपना मानते ही न थे! और तो और अपने 4 बच्चों की शक्लें तो इन्होने इसी मंच के ब्लोगरों से मिला दी थीं, बदकिस्मती से उनमें से एक की शक्ल मुझसे भी मिला दी थी ! अब बताओ यार अपनी पत्नी तो पत्नी इन्होने हमारे चरित्र की चुनर भी शक्तिकपूर की तरह से तार – तार कर दी ! हम तो किसी को मुंह दिखाने लायक नहीं बचे थे, लड़कियां वैसे भी हमारे नजदीक आने से कतराती थीं इनके लेख के बाद तो हमें देख कर ऐसे भागने लगीं जैसे morteen जलाने के बाद मच्छर भागते हैं ! हमें बड़ा गुस्सा आया मगर हमने कहा चलो छोडो यार अब इसे शक है तो शक की बीमारी का तो कोई इलाज होता नहीं है, और हम ठहरे गांधीवादी इंसान हमने कोई विरोध भी नहीं जताया ! फिर अचानक एक दिन इन्ही के एक लेख रचना की मौत …… से हमें पता चला की राजकमल जी की पत्नी का बोलो राम हो गया ! हालांकि हम इनसे बड़े खफा थे मगर हम ठहरे गांधीवादी और गांधीजी के सिधांत हमेशा हमारे गुस्से पर हावी हो जाते हैं, और हमारे भारतीय संस्कार भी यही कहते हैं की किसी के यहाँ ख़ुशी के मौके पर जाओ न जाओ मगर दुःख मैं अवश्य जाओ ! विचारों के इस मंथन के बाद हम भाईचारे के नाते रस्म उठावने मैं शामिल होने के लिए राजकमल जी के शहर लुधियाना पहुंचे ! हमने सोचा चलो भाई राजकमल जी के रंडुए होने के गम मैं भी शामिल हो जायेंगे और इसी बहाने राजकमल जी से कह भी देंगे की भाई हमारे चरित्र का चीर हरण यों सरे आम मत किया करें भाई ! अब जैसे ही हम रस्म उठावने के पंडाल मैं पहुंचे वहां जागरण जंक्सन के बहुत सारे जाने पहचाने चेहरे नजर आये, खैर वो तो आने ही थे जब हम जैसा इंसान जिसकी इज्जत की मुन्नी को राजकमल जी ने यों बदनाम कर डाला था वो इस गम मैं शरीक होने पहुँच गए थे तो, फिर बाकी तो यहाँ इनके बहुत सारे मित्र हैं उन्हें तो जाना ही था ! मैंने देखा जागरण जंक्सन के परिवार के सबसे बड़े मुखिया आदरणीय चाचाजी खुराना साहब, वकील साहब k m मिश्राजी, चातक जी , निखिल झा, मिहिर राज शाही साहब और भी कई कुछ जाने कुछ अनजाने चेहरे एक गुट मैं बैठे हुए हैं, मैं लपक कर इन लोगों की तरफ गया शिष्टाचार के नाते की चलो मैं भी अपने JJ के गुट मैं बैठता हूँ ! मगर ये लोग ठहरे ब्लोगर मुझे देखते ही बोले लो आ गए, मैंने कहा चाचाजी नमस्कार बड़ा दुःख हुआ राजकमल जी रंडवे हो गए ये सुनकर ! चाचाजी मुझे देख कर बड़ी ही कुटिल मुस्कान मुस्काये बोले भाई दुःख तो हम सब को है मगर एक बात बताओ क्या सचमुच राजकमल जी के एक बच्चे की शक्ल तुमसे मिलती है, आखिर ये माजरा क्या है ? मुझे बड़ा गुस्सा आया अरे चाचाजी आप भी मेरे चरित्र पर शक कर रहे हैं ? सारे लोग मुझे देख कर हंस रहे थे मुस्करा रहे थे मिश्राजी बोले अरे चाचाजी अभी राजकमल जी के सारे बच्चों को बुलवाते हैं और शिनाख्त परेड करवा देते हैं उसमें क्या है ! सभी मुझे देख कर फिर मुस्कराने लगे ! मैंने कहा यार तुम लोग मेरा नहीं तो कम से कम माहौल का तो ख़याल करो कहाँ बैठे हो और ऐसे मैं तुम लोगों को मजाक सूझ रहा है ! मगर ये लोग नहीं माने किसी न किसी प्रकार मुझे सताते रहे !
मैंने सोचा यार ये लोग ऐसे नहीं मानेंगे, कुछ न कुछ तो करना ही पड़ेगा ! मैं चुपचाप एक तरफ सोचनीय मुद्रा मैं बैठ गया और अपनी अच्छी बुद्धि का switchoff किया और काली बुद्धि का switchon किया ! अचानक मैंने देखा राजकमल के पास चार लठधारी हट्टे – कट्टे मुस्टंडे गमगीन मुद्रा मैं बैठे हैं, मैं उनके थोडा नजदीक गया तो मुझे सुनाई पड़ा उनमें से एक कह रहा था ओये राजकमल तूने हमारी बहन को परेशान किया होगा तभी वो परलोक सिधार गई, ध्यान रखना अगर हमें पता चला की इसके स्वर्ग सिधारने मैं तेरा कोई हाथ है तो हम तुझे कहीं का नहीं छोड़ेंगे ! राजकमल हाथ जोड़ कर कह रहे थे अरे नहीं साले साहव मैं तो इसका बहुत ख्याल रखता था ! इस जैसी चरित्रवान पत्नी मुझे कहाँ मिलेगी और घडियाली आंसू बहाने लगे ! बस मेरी काली बुद्धि मैं एक काला आईडिया आ गया मैंने कहा राजकमल तो राजकमल ये JJ के जितने ब्लोगर मेरा मजाक उड़ा रहे हैं इन सबको एक साथ सबक सिखाता हूँ ! इस बीच ये सभी लोग मेरे नजदीक आ गए जहाँ राजकमल और उनके साले खड़े थे ! ये लोग फिर मुझे देख कर मुस्कुराये ! क्यों भाई अपने बच्चों के बारे मैं पूछ रहे हो क्या ? इस बार मैं भी चाचाजी को देखकर मुस्कुराया ! चाचाजी मुझसे बोले क्या बात है भतीजे सुबह से पहली बार तुम्हारे चेहरे पर मुस्कान देख रहा हूँ क्या बात है, अपनी शक्ल वाले बच्चे को देख लिया क्या ? भाई हमें भी तो बता दो तुम्हारा वाला बच्चा कौन सा है ! चाचा के इस मजाक पर फिर सब हंसने लगे ! मैंने कहा चाचाजी एक बात बताइए क्या आप दौड़ लगा लेते हैं ? बोले यार बुढापे मैं कहाँ दौड़ लगती है, फिर भी आपातकाल मैं थोडा बहुत दौड़ सकते हैं ! फिर मैंने बाकी लोगों से पूछा भाई तुम लोग दौड़ लगा लेते हो ? चातक जी बोले सचिन भाई मैं कॉलेज मैं १०० मीटर दौड़ का विजेता था ! मैंने कहा अभी पता चल जायेगा, भैया ! लेकिन आप हम सबसे ये पूछ क्यों रहे हो ? मैंने कहा कुछ नहीं यों ही भाई थोडा इन्तजार करो ! और अपने चेहरे पर दुःख के भाव लाते हुए मैंने राजकमल जी के कंधे पर हाथ रखते हुए कहा राजकमल भाई जानेवाले को कौन रोक सकता है राजकमल भाई, तुम्हारे दुःख मैं हम सब बराबर के शरीक हैं, और ये जो यहाँ मरी पड़ी है न ये सिर्फ तुम्हारी ही बीबी नहीं थी, मेरी भी बीवी थी इतना सुनते ही राजकमल जी चकरा गए बोले सचिन भाई ये क्या कह रहे हो ? अबे ये मैं नहीं तुम ही कहते थे, राजकमल जी के एक मुस्टंडे साले ने मेरी गिरेवान पकड़ी , अबे ये क्या बकता है तू मेरी बहन के बारे मैं ! अरे मैं सही कह रहा हूँ साले, आप को यकीं न आ रहा हो तो अपने जीजे का लेख मेरे 8 बच्चों की शक्लें ——- पढ़ लीजिये मैंने हाथ जोड़ कर कहा भाई साहब सच कह रहा हूँ, राजकमल जी से पूछिये, ये खुद कहते थे और फिर मैंने JJ के अपने सारे महानुभावों की ओर इशारा करते हुए कहा, अरे राजकमल के ब्लॉग की माने तो ये सिर्फ मेरी ही बीवी नहीं थी, इसकी भी बीवी थी, इसकी भी बीवी थी, उसकी भी बीवी थी अरे राजकमल जी के लेख पढो तो पता चलेगा वो सारे जागरण जंक्सन की बीवी थी ! उसके साले ने मुझे छोड़ा राजकमल को लपका क्यों बे जीजे तू ऐसा लिखता था हमारी बहन के बारे मैं ! अबे ये तुम्हारा जीजा नहीं है, किसी घटिया रेस्तौरेंट का पीजा है ! और जैसे ही उसने मुझे छोड़ा मैंने कहा अरे मुस्टंडे सालो ये तो ये भी कहता था ये सिर्फ जागरण जंक्सन की ही बीवी नहीं थी ये तो पूरे लुधियाने की बीवी थी ! अच्छा हुआ सालो तुम्हारी बहन मर गई बरना ये तो अपने लेख फीचर कराने के लिए उसे सारे हिन्दुस्तान की बीवी बना देता ! मेरा इतना कहना था की चारों मुस्टंडे साले राजकमल पर भूखे शेर की तरह पीजा मतलब अपने जीजा पर टूट पड़े ! दे लातें दे घूंसे, और हद देखिये ये JJ वाले उसको पिटता देख बचाने की जगह मजा ले रहे थे मैंने कहा चाचा ज्यादा मजा न लो दौड़ लगा लो वर्ना इसके बाद JJ वालों की पिटाई का नंबर है ये लोग इसे छोड़कर तुम लोगों को पकड़ेंगे और वीरेंदर सहवाग की तरह ठुकाई करेंगे , इतना कहकर मैंने 150 घंटा प्रति मील की रफ्तार से दौड़ लगा दी ! मेरे पीछे ये लोग भी ऐसे भागे जैसे commonwealth game मैं हिस्सा ले रहे हों ! और सीधे चाचाजी के घर पर ही रुके ! मेरी हंसी इन लोगों को देख कर रोके नहीं रुक रही थी ! सारे लोग ऐसे हांफ रहे थे जैसे कोयले वाला इंजन भाप छोड़ रहा हो ! मैंने कहा क्यों भाई मजा आया, ये सुनकर सारे के सारे मेरे ऊपर टूट पड़े बोले सचिन आज के बाद कभी अपना मुंह मत दिखाना ! साथियों इन्ही लोगों के डर से मैं ३ महीने तक जागरण जंक्सन से दूर रहा ! मेरे साथ – साथ मिहिर, निखिल झा ये भी पिटाई के डर से गायब हो गए ! मगर राजकमल जी सचमुच महान हैं अपने सालों के ४०० घूंसे और ५०० लातें खाने के बाद भी दोबारा इलाज कराके वापस आ गए ! और तो और अपने १०-१२ बच्चों को बिलखता छोड़ दूसरी शादी भी कर ली, और अब मजे से हनीमून पर हनीमून मना रहे हैं, और ब्लॉग फीचर करके कमेन्ट भी बरसवा रहे हैं ! अब आप ही बताइए राजकमल जी को देखकर नहीं लगता घूरे के भी दिन फिरते हैं ?
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