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क्या बदल रहा है गीता का ज्ञान ?

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दोस्तो भारतीय शास्त्रों मैं ही नहीं, दुनिया की किसी भी संस्कृति और सभ्यता को उठा कर देखें तो उसमें करम को सर्वोपरि बताया गया है, मनुष्य का जनम करम करने के लिए ही हुआ है, मगर गीता मैं करम के सम्बन्ध मैं कहा गया है करम किये जा फल की इक्छा मत कर ऐ इंसान जैसा करम करेगा बैसा फल देगा भगवान् ! इसको अगर हम आज के परिवेश मैं देखें तो क्या ये सत्य है ?

आज हम देख रहे हैं हमारे चारों तरफ जैसे लोग फल फूल रहे हैं, उनके कर्मों को किसी भी मापदंड से श्रेष्ठ नहीं कहा जा सकता ! आज जो सबसे ज्यादा कर्मों का मीठा फल पा रहे हैं, बे राजनितिक लोग हैं, और इनके करम किस प्रकार के हैं ये भी किसी से छिपे नहीं हैं, सत्ता पाने के लिए कौन सा घिनौना हथकंडा ये नहीं अपनाते साम, दाम दंड भेद सारी नीतियां ये अपनाते हैं, और जो जनता इन्हें बड़ी हसरतों से कुर्सी पर बिठाती है, उसी के हित मैं लगाया जाने वाला पैसा किस प्रकार से ये लूट कर खा रहे हैं, इसके ज्वलंत उदाहरण हैं विगत दिनों हुए सरकारी घोटाले, रोज नए घोटाले पर से पर्दाफाश हो रहा है पर इन नेताओं मंत्रियों का कुछ भी नहीं बिगड़ता ! क्या इनके ये करम ऐसे हैं जिनका फल ये है की ये लोग नाम शोहरत की बुलंदियां छू रहे हैं दुनिया का हर सुख इनको हासिल है अपने इन बुरे कर्मों के फलों के रूप मैं ! क्या यहाँ गीता का ज्ञान सत्य प्रतीत होता नजर आता है ?

दूसरे नंबर पर आते हैं हमारे उद्योगपति ये लोग भी धन कमाने की अंधी दौड़ मैं बे शुमार दौड़े जा रहे हैं, और इनकी इस राह मैं आने वाले को ये रौंदते चले जा रहे हैं ! अपने व्यापार मैं ज्यादा से ज्यादा लाभ कमाने के लिए ये भोली – भाली जनता को ऐसी चीजों की आपूर्ति कर रहे हैं, जिससे उसके प्राण भी जा सकते हैं, गरीब मजदूरों का शोषण किया जा रहा है, इस कौम के द्वारा! मंत्रियो और राजनेताओं से अपने काम निकलवाने के लिए ये लोग क्या – क्या नहीं करते, शबाब से लेकर शबाब तक ये लोग उन भ्रष्ट मंत्रियों को परोस रहे हैं, और उनके इन बुरे कर्मों के फल के रूप मैं उन्हें क्या मिल रहा है वही सब वैभव शोहरत दौलत ! क्या यहाँ गीता का ज्ञान सत्य प्रतीत होता नजर आ रहा है ?

इसके बाद नंबर आता है अपराधियों का आज दुनिया मैं आतंकवाद का दानव मासूमो के खून से अपनी प्यास बुझा रहा है, जगह – जगह निर्दोषों की हत्याएं की जा रही हैं ! अपराधी तत्व सत्ता के लिए औजार का काम कर रहे हैं, और इन्हें सत्ताधारी नेताओं और पुलिस का संरक्षण होने की बजह से ये लोग शरीफ इंसानों का जीना हराम किये हुए हैं ! और ऐसे लोग भी अपने बुरे कर्मों के परितोषित के रूप मैं पा रहे हैं , शान ओ शौकत का जीवन ! क्या यहाँ गीता का ये ज्ञान सत्य प्रतीत होता नजर आता है ?

अब बात करते हैं एक आम इंसान की जिसकी सुबह ही भगवान् के भजन – पूजन से होती है, और फिर दिन भर के लिए वेह लग जाता है अपने और अपने परिवार के लिए सुख साधन एकत्र करने मैं जुट जाता है, मगर अपने सुबह से लेकर शाम तक के अथक प्य्रासों के बाबजूद एक आम इंसान जो की इंसान और भगवान् के बनाये हुए हर नियम को मानता है, भगवन से डरता भी है मगर उस वैभव शाली जीवन के आस – पास भी नहीं पहुँच सकता जिसका भोग ये बुरे कर्म करने बाले कर रहे हैं ! एक आम इंसान का जीवन सदा अभावों से भरा हुआ होता है, नित्य उसे अपनी जिन्दगी से कई समझौते करने होते हैं ! फिर भी बह भगवान् के सामने झुकता है, और मन मैं यही कामना करता है की हे प्रभु मुझे बुरे कर्मों से बचाना ! क्या उस आम इंसान के कर्म ऐसे होते हैं की वेह सदा कष्टकारी जीवन यापन करे ! क्या यहाँ गीता का ज्ञान सार्थक प्रतीत हो रहा है ?

आज अमीर और अमीर होता जा रहा है, और गरीब और गरीव होता जा रहा है, अमीरी और गरीवी की ये खाई गहराती जा रही है ! समाज भी आज उन्ही को सम्मान दे रहा है जिनके पास ये वैभव शाली जीवन है, समाज आज ये नहीं देख रहा की किसी ने ये दौलत कितने मासूमों का हक़ छीन कर कमाई है उसे समाज मैं ऊँचा रुतवा दिया जाता है ! जबकि इसके उलट एक नैतिक जीवन जीने वाले की नैतिकता का कोई मूल्य नहीं है ! उसे सिर्फ और सिर्फ आर्थिक तराजू पर तौल कर उसे हल्का करार दिया जा रहा है ! फिर भी हमारी गीता यही कह रही है जैसा करम करेगा वैसा फल देगा भगवान् !

साथियो इस विषय पर मैंने अपने एक साथी से जब यह विचार व्यक्त किये तो उन्होंने bhi मेरे विचारों से सहमति जताई मगर उन्होंने मुझसे कही जो की शायद आधुनिक युग मैं सत्य है !

” जैसा करम करेगा वैसा फल देगा भगवान्” बदल रही है मगर एक और कविता आज चरितार्थ हो रही है

” राम चन्द्र कह गए सिया से ऐसा कलयुग आएगा, हंस चुगेगा दाना तुनका कोआ मोती खायेगा ”

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