- 101 Posts
- 2506 Comments
दोस्तो, मैं बचपन से अपने बड़ों से सुनता आ रहा हूँ, की हर काम भगवान् की मर्जी से होता है, उसकी मर्जी के बिना एक पत्ता भी नहीं हिल सकता, मनुष्य के साथ घटने वाली हर बुरी घटना के साथ कोई न कोई अच्छाई जुडी होती है ! आज मैंने सोचा चलो यार इस विषय पर थोड़ी शोध की जाए तो मैं मंच की अपनी प्रतिभाशाली लेखिका रोशनी जी के लेख से पुन प्रेरणा लेकर एकांत मैं बैठ गया शांत, सोचने लगा यार ये बात कहाँ तक सत्य है, की हर बुराई मैं कोई न कोई अच्छाई छिपी है, लगभग एक डेढ़ घंटे तक गालों पर हाथ रख कर बैठ कर सोचता रहा, अंत मैं मैंने अपने शोध मैं ये पाया की यार इस बात मैं कुछ तो सच्चाई है, हर बुराई मैं कोई न कोई अच्छाई छिपी होती है, बल्कि कई बार तो कई – कई भलाई छिपी होती हैं, हाँ हर बात की तरह इस युक्ति के भी कुछ अपवाद हैं, मतलब ये की कुछ घटनाएँ इंसान के जीवन मैं ऐसी घटित होती हैं, जो सिर्फ और सिर्फ बुरी ही होती हैं, इनमें चाहकर भी कोई अच्छाई नजर नहीं आती, मगर ऐसे घटनाओं का प्रतिशत बहुत ही कम है लगभग ८ से १० प्रतिशत ! बाकी ९० प्रतिशत बुरी घटनाएँ ऐसी होती हैं, जिनमें एक नहीं कई अच्छाई होती हैं ! मैंने तय कर लिया अब मैं इस फार्मूले पर और शोध करूँगा और practical करके देखता हूँ आखिर ये कहाँ तक सत्य है! अब समस्या ये खड़ी हो गई कि इस बात का Practical कैसे हो !
मैंने मन ही मन ठान लिया कि अपने Circle मैं कोई ऐसा व्यक्ति ढूँढा जाए जो अपने आप को परेशानी से घिरा महसूस कर रहा हो, और उसके साथ कोई बुरी घटना घट गई हो, और मुझे उसके साथ हुई बुराई मैं अच्छाई ढूंढ कर उसे सहमत करना होगा, तब मुझे आत्म संतुस्ती मिलेगी ! अगले दिन भगवान् का नाम लेकर घर से निकला कि हे भगवान् कोई परेशानी से घिरे व्यक्ति से मिलवा दे ! मेरी आत्मा ने मुझे कचोटा अबे कितना स्वार्थी हो गया है तू , लोग अपनों कि खुशियों कि कामना करते हैं और तू ये कामना कर रहा है कि कोई दुखी साथी से मिला दे, अरे तो मैं क्या करूँ सुख – दुःख जीवन के दो पहलु हैं किसी को दुखी होने से मैं थोड़ी रोक सकता हूँ, ये तो भगवान् के हाथ है, अपना स्वार्थ मैंने भगवान् पर लाद दिया और आगे बढ़ा ! जहाँ-जहाँ मित्र मिलने कि गुंजाइश थी सबसे मिला, मगर जिससे भी मिला वो सारे के सारे ऐसे खुश थे जैसे पहली बरसात मैं मेढक खुश हो जाते हैं, किसी कि सगाई हो गई, तो खुश, किसी को नई गर्ल फ्रैंड मिल गई तो खुश, इंडिया टेस्ट मैच जीत गई तो कुछ उसी मैं खुश ! यार मैं बड़ा परेशान कि अभी मुझे चाचाजी खुराना साहब ने बताया नानक जी कहकर मरे नानक दुखिया सब संसार, मगर इस वक्त तो मुझे नानक सुखिया सब संसार नजर आ रहा है ! कहीं कोई दुखी व्यक्ति ही नहीं मिल रहा, क्या करूँ ? थक – हार कर शाम तक घर लौट आया, सोचा चलो फिर कभी सही ! मैंने फिर भगवान् को याद किया हे भगवान् practical करने के लिए एक मेढक तो दिला दे, बड़ी नहीं किसी को छोटी समस्या से ही घिरा दे ! तभी मेरे मोबाइल कि घंटी बजी, मेरे एक बहुत नजदीकी मित्र संजू का फ़ोन आया, मैंने बड़े ही बेमन से उठाया! मैंने पहला सवाल पूछा बोल यार कैसा है तू ? लगता था भगवान् ने मेरे मन का ताजा sms पढ़ लिया हो, मेरे मन कि मुराद जैसे पूरी होने वाली थी, संजू बड़ी ही दुखी आवाज मैं बोला, यार बहुत परेशान हूँ, तू बता तू कैसा है ? मैंने कहा तू कहाँ है यार मैं अभी आता हूँ, तू दुखी है और मैं तेरे पास न रहू ये कैसे हो सकता है, उसके बताये ठिकाने पर मैं तुरंत पहुंचा ! मैं बहुत खुश था कि चलो मेढक मतलब एक परेशान व्यक्ति मिला अब अपना शोध आगे बढाता हूँ !
मन मैं काफी खुश था मगर, चेहरे पर अफ़सोस के भाव लाते हुए मैंने पूछा, क्या हुआ यार अपने दोस्त को बता आखिर परेशानी क्या है, दोस्त हर बुराई मैं कोई न कोई अच्छाई छिपी होती है, तुझे नहीं मालूम ! हो सकता है तेरे दुःख मैं भी कोई सुख छिपा हो ! संजू बोला यार, क्या बताऊँ मेरे साथ बहुत बुरी घटना घट गई, आज मैं बहुत दुखी हूँ! ऐसा लग रहा है दुनिया को आग लगा दूँ, या खुद को ख़त्म कर लूँ ! मैंने कहा यार तू मुझे समस्या तो बता, हो सकता है मैं कोई समाधान बताऊँ वैसे भी हर बुराई मैं अच्छाई छिपी होती है दोस्त ! उसने लगभग रोते हुए, अश्कों से दामन भिगोते हुए मुझसे कहा यार मेरी जो गर्ल फ्रेंड थी न मंजू, उसको मेरे सबसे बेस्ट फ्रेंड अंशुल ने फंसा लिया ! यार उसने मंजू को Prapose किया और उसने मुझे ठुकरा के उसके प्यार को स्वीकार कर लिया और अब दोनों शादी करने वाले हैं, ये देख शादी का कार्ड देकर गए हैं! अबे लेकिन ऐसा क्यों हुआ, तेरे जिगरी दोस्त और तेरी महबूबा ने तुम्हारे साथ ऐसा क्यों किया ? अरे यार क्या बताऊँ अंशुल अपने बाप एकलौता पुत्र था, और उसके बाप पर बहुत दौलत थी, एक दिन उसे दिल का दौरा पड़ा और वो दुनिया का दौरा अधूरा छोड़ कर निकल लिया ! राहुल बिना KBC मैं जाए करोडपति बन गया ! उसकी नजर मंजू पर पहले से थी, और वो मेरी गुडगुड गोते खाती नैय्या को छोड़ कर अंशुल के स्टीमर मैं बैठ कर समुन्दर मैं नहाने चली गई ! अब मैं क्या करूँ ? मैंने कहा देख यार दुखी मत हो, हो सकता है इसमें भी कुछ अच्छाई छिपी हो ! संजू बोला यार मेरा सबसे जिगरी दोस्त मेरी प्रेमिका से शादी रचा रहा है, इसमें मेरे लिए अच्छा क्या है बता ? मैंने कहा मुझे सोचने दे फिर मैं तुझे बताता हूँ कि इसमें अच्छा क्या हुआ !
अब मेरे शोध कि परीक्षा थी मैंने ध्यान से १० मिनट सोचा कि इसमें अच्छा क्या हुआ ! तुरंत ही मुझे इसमें भलाई नजर आने लगीं मैंने चेह्कते हुए कहा यार इसमें तो बहुत सी अच्छी चीजें हुई हैं ! वो बोला यार क्यों मेरे जले पर नमक छिड़क रहा है, इसमें क्या अच्छा हुआ? मैंने कहा मेरी बाते जरा ध्यान से सुनना और सुनकर समझने की कोशिश करना देख तेरे साथ हुई इस बुराई मैं पहली भलाई तो ये छिपी है की, जिस अंशुल को तू अपना सबसे जिगरी दोस्त समझता था, वो तेरा जिगरी दोस्त था ही नहीं, क्योंकि कोई जिगरी दोस्त किसी के साथ ऐसा नहीं करता अबे बो दोस्त नहीं था आस्तीन का सांप था जो तूने पाल रखा था, है कि नहीं ? हाँ यार ये बात तो सही है! दूसरी अच्छी बात जो हुई, जिस मंजू को तू जी जान से चाहता था, उसने जरा से पैसे के लिए तुझे ऐसे छोड़ दिया जैसे मंत्रिपद के लालच मैं नेता पार्टी छोड़ देते हैं, मतलब ये कि तुमने एक आस्तीन मैं सांप तो दूसरी आस्तीन मैं नागिन पाल रखी थी! बोलो ये बात सही है कि नहीं ? हाँ यार ये बात भी सही है, अगर वो मुझसे सच्चा प्यार करती तो, चांदी कि दीवार तोड़ देती मगर मेरा प्यार भरा दिल कभी न तोडती, बेवफा नागिन कहीं की ! अब सोचो अगर तुम मंजू से शादी कर लेते, और शादी के बाद अंशुल उसे पैसे का लालच देकर पटा लेता तो क्या होता ? क्या होता ? अबे सोच कर देख अगर कार तू ख़रीदे, उसका रोड टैक्स तू भरे, गाडी चलाने का लाइसेंस तेरे नाम से हो, और उसकी स्टेरिंग पर बैठकर कोई और चलाये तो तुझे कैसा लगेगा ? क्या मतलब ? अबे मतलब ये कि तू तो दिन भर के लिए नौकरी पर निकल जाता और अंशुल और मंजू ईलू – ईलू करते, तो तुझे अच्छा लगता ? नहीं यार ये तो मैं बहुत बड़ी मुसीबत से बच गया, ऐसा होता तो मेरी तो नाक कट जाती यार ! हाँ अब एक और अच्छी बात तुझे बताता हूँ, मैंने कहीं पढ़ा है कि एक लड़की अपना पहला प्यार कभी नहीं भूलती, भले ही मंजू आज तुझे छोड़ कर अंशुल से शादी कर रही हो, मगर कहीं न कहें उसके दिल मैं तेरी प्यार कि फुलझड़ी तो जली ही थी न, अब हम इस फुलझड़ी से होली पर अंशुल की होली जलाएंगे, और उसकी खरीदी गाडी उसी के खर्चे और लाइसेंस पर हम चलाएंगे ! अबे मैं मतलब नहीं समझा ! अबे मतलब ये कि तूने सिलसिला फिल्म देखी है न उसी फिल्म कि तरह हम होली के दिन पिचकारी भरके चलेंगे और उसी के घर पर तू रेखा कि अंगिया अपने प्यार के रंग से भिगोयेगा और अंशुल संजीव कुमार कि तरह देखेगा ! और जब मैं गाना गाऊं ” बेला चमेली का सेज बिछाया, सोये गोरी का यार बलम तरसे रंग बरसे ” तुम रेखा की सजी – सेज पर रेखा के अंग – अंग को रंग देना ! अरे वाह ! मेरे अमिताभ क्या फ़ायदा बताया यार ! अबे इस स्तिथि मैं अमिताभ तू है, मंजू रेखा है और उस अंशुल को संजीव कुमार बनाना है ! अबे फिर तू कौन है, अबे मैं तेरा दोस्त और इस नाटक का निर्देशक यश चोपड़ा हूँ ! अब बोल तेरे साथ अच्छाई हुई या बुराई ? अरे यार इस एक बुराई मैं तो कई भलाई हैं ! मगर यार होली तक मैं क्या करूँ ? अबे होली तक तू एक काम कर तेरा दोस्त तेरी महबूबा ले उड़ा तो तू ये गाना गा ! ” दोस्त दोस्त न रहा प्यार प्यार न रहा जिन्दगी हमें तेरा ऐतबार न रहा ऐतबार न रहा ” अबे नहीं अब मैं ये सेड सोंग नहीं गाने वाला अब तो मैं होली तक अगर कोई गाना गाऊंगा तो बस यही गाना गाऊंगा ” रंग बरसे भीगे चुनरवाली रंग बरसे ” और होली वाले दिन भी ये गाना तू नहीं मैं ही गाऊंगा क्योंकि तू निर्देशक है और मैं हूँ हीरो अमिताभ ” रंग बरसे …………..”
तो देखा आपने १ घंटे पहले तक बेहद दुखी इंसान अचानक कैसे हीरो बन गया और ख़ुशी से झूम रहा है ! साथियो जिन्दगी मैं अक्सर ऐसा होता है कि हम छोटी – छोटी परेशानियों को इतना बड़ा मान लेते हैं, जितनी बड़ी बो होती नहीं है, ९० प्रतिशत बुराई मैं कोई न कोई भलाई अवश्य होती है, ये यथार्थ सत्य है ! हाँ एक और बात मैंने तो अपने दोस्त कि स्तिथि मैं उसको जो मेरी समझ मैं आई भलाई बताईं, अब मैं आप लोगों से निवेदन करता हूँ कि प्लीस जो भी मेरे लेख को पढ़े वो अपने आप को मेरी स्तिथि मैं रखकर मेरे दोस्त के साथ हुई इस बुराई मैं छिपी कोई नई भलाई बताएं जो मैं नहीं बता सका आप लोग तो बहुत ग्यानी लोग हैं यार प्लीस मेरे दोस्त की मदद करो यार !
Read Comments