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साइलेंट किलिंग ????? ( एक सामजिक अपराध )

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दोस्तों बिगत कुछ दिनों से एक वाक्य बहुत सुनने मैं आ रहा है, ओनर किलिंग अक्सर मैं टी.वी. न्यूज़ चेंनल्स पर देखता हूँ की फलां शहर मैं लड़की के बाप ने या उसके भाई ने अन्य रिश्तेदारों की मदद से अपनी बेटी का खून कर दिया सिर्फ इस लिए की उसने अपने मा बाप की मर्जी के बिरुद्ध किसी लड़के से विवाह कर लिया ! सुनकर बहुत दुःख होता है, और आश्चर्य भी होता है, कि जिस बाप ने जन्म से लेकर इतने बड़े होने तक, जिस बेटी की हर ख्वाहिश  को पूरा किया, जिस भाई ने बचपन से जब भी उसकी बहन ने उसकी कलाई पर राखी बाँधी हमेशा अपनी बहन की रक्षा करने का वचन लिया, उन लोगों के सामने आखिर ऐसी कौन सी परिस्तिथि आ जाती है की वे इतना भीबत्स कृत्य करने के लिए आतुर हो जाते हैं, जिससे वे अपनी और समाज  की नज़रों मैं हमेशा के लिए दोषी करार दिए जाते हैं ! इन्हीं सब प्रश्नों  के साथ जब मैं चिंतन करने बैठा तब इस तथाकथित ओनर किलिंग रूपी सिक्के का दूसरा पहलु मेरे जेहन मैं आया, जिसको मैंने नाम दिया है साइलेंट किलिंग ! 

आप सोच रहे होंगे की आखिर ये साइलेंट किलिंग क्या है? इसे मैं एक कहानी के रूप मैं आपको समझाने की चेष्टा कर रहा हूँ, उम्मीद है आप समझ सकें कि आखिर ये साइलेंट किलिंग क्या है !


भारत का एक कोई छोटा सा शहर, जिसमें निवास करने वाले लोगों की मानसिकता शायद मेट्रो के लोगों की तरह विकसित नहीं, उनकी एक घनी बस्ती मैं, शर्माजी का परिवार, जिसमें की शर्माजी की मा, उनकी धरमपतनी उनकी २ बेटियां संजना और रंजना एक प्यारा बेटा संजू ! शर्माजी डाकघर मैं बाबू थे, शर्माजी के व्यवहार की वजह से उनकी बस्ती ही नहीं, अपितु पूरे शहर मैं उनका सम्मान था ! कुल मिलाकर सुखी परिवार था शर्माजी का !

 संजना सबसे बड़ी बेटी, फिर बेटा संजू और फिर छोटी बेटी रंजना ! सभी की उम्र मैं लगभग २ वर्ष का अंतर, बड़ी लड़की युवा देखने मैं बेहद सुन्दर, शर्माजी की विशेष प्यारी,  एक कॉलेज मैं बी ए  द्वितीय वर्ष  की छात्रा, संजू बारवीं  का छात्र, छोटी बहन रंजना दसवीं की छात्रा ! यदि हम बात करें शर्माजी के बेटे संजू की तो परिवार का सबसे लाडला, दादी की आँख का तारा, मा का दुलारा, बहनों का भी प्यारा भाई ! बेहद प्रतिभाशाली लड़का, क्रिकेट का दीवाना, पढ़ाई मैं काफी मेघावी, आज उसका इंटर का रिजल्ट आने वाला था! ” दीदी मैं आपके कॉलेज मैं ही admission लूँगा पास होने के बाद !” संजू ने कहा, सभी लोगों ने उसका समर्थन किया, किन्तु दीदी ने विरोध किया नहीं, संजू तुम किसी और कॉलेज मैं दाखिला लेना ! नहीं दीदी मैं तो आपके ही कॉलेज मैं दाखिला लूँगा ! इतने मैं ही संजू का बचपन का मित्र, सबसे प्यारा मित्र विवेक आया अरे संजू अपना रिजल्ट आ गया है, तू पूरे जिले मैं, प्रथम आया है, और मैं भी प्रथम श्रेणी मैं पास हो  गया हूँ  ! पूरे घर मैं जश्न का माहौल हो गया, मा ने बेटे को कलेजे से लगा लिया ! दादी ने भी दुआएं दीं! शर्माजी का तो सीना गर्व से चौड़ा हुआ जा रहा था ! सारा मोहल्ला संजू की इस सफलता से खुश था ! 

संजू और विवेक ने संजना दीदी के ही कॉलेज मैं दाखिला लिया ! कॉलेज के पहले दिन दोनों मित्र बेहद खुश थे ! नए – नए मित्रों से मुलाक़ात हुई ! समय तेजी से गुजरता गया ! राहुल अपने कॉलेज की क्रिकेट टीम मैं चुन लिया गया, पढ़ाई के साथ-साथ वेह अपने खेल पर भी बहुत ध्यान देता था, और उसकी योग्यता और खेल के प्रति लगन देखकर कॉलेज की टीम के कोच का वेह पसंदीदा खिलाड़ी बन चुका था ! उनका मानना था की अगर संजू इसी प्रकार खेलता रहा तो, वेह काफी आगे तक जा सकता है ! उनकी यह बात संजू को और ज्यादा उत्साहित करती थी और वेह दुगने उत्साह से खेलता था ! 

किन्तु एक दिन विवेक के एक वाक्य ने संजू के मन की सारी एकाग्रता को तेहस – नहस कर दिया ! “संजू यार एक बात कहना चाहता हूँ, मगर यार कहने की  हिम्मत नहीं जुटा पा रहा हूँ  !”  यार विवेक ऐसी कौन सी बात है, जिसे कहने की तू मुझसे हिम्मत नहीं कर पा रहा है ! तू मेरा सबसे प्यारा दोस्त   है, बेहिचक बोल  यार आखिर  क्या बात है? संजू की जिज्ञासा बढ़ गई थी ! यार मुझे लगता है, दीदी की दोस्ती कुछ गलत लड़कों से है, विवेक ने कहा, बस विवेक के इन्हीं चंद शब्दों ने संजू की जिन्दगी की दिशा बदल कर रख दी ! नहीं यार ऐसा क्यों कह रहा है, तुझे ऐसा क्यों लगता है ! संजू ने विवेक की बात से असहमति जताई ! यार न जाने क्यों मुझे दीदी की कंपनी के लोग कुछ अच्छे नहीं लगते ! ठीक है यार यदि तुझे ऐसा लगता है, तो  हम दीदी से इस सम्बन्ध मैं बात करते हैं ! और आज कॉलेज ख़तम होने के बाद सब घर आये ! शाम के विवेक संजू के घर आया संजू और विवेक दीदी के कमरे मैं गए ! दीदी विवेक को  लगता है, आपके कुछ दोस्त ठीक नहीं हैं, क्या आपको इस बारे मैं कुछ जानकारी है ? संजू ने कहा ! नहीं ऐसा कुछ नहीं है, तुम लोग अपनी पढ़ाई पर ध्यान दो ! और विवेक तुम्हें दूसरे की जिन्दगी मैं तांक-झाँक करने की कोई जरुरत नहीं है, अपने काम से काम रखो ! दीदी ने विवेक को बहुत खरी – खोटी सुनाई ! संजू को दीदी का अपने मित्र के प्रति ये व्यवहार बहुत बुरा लगा ! और उसने जाते हुए विवेक से माफ़ी मांगी ! विवेक बोला अरे नहीं यार तुझे माफ़ी मांगने की कोई आवश्यकता नहीं है, दीदी सही कह रही है, मुझे ही दूसरों की जिन्दगी मैं दखल देने की क्या जरुरत है ! कहकर विवेक वहां से चला गया ! किन्तु दीदी का ये रुख न जाने कहीं न कहीं संजू को अच्छा नहीं लगा, उसे अपने मित्र पर पूरा यकीन था ! उसने मामले की जड़ तक जाने का निर्णय कर लिया !

अगले  दिन कॉलेज मैं संजू ने विवेक से मुलाकात की और उससे कहा यार मुझे इस मामले की जड़ तक जाना है, और तेरे बिना मैं इस काम को नहीं कर सकता दोस्त ! विवेक भी संजू का सच्चा दोस्त था, अपने मित्र को यों परेशान देख वेह अपनी कल की बेईज्ज़ती भूल अपने मित्र के साथ कंधे से कन्धा मिलाकर  खड़ा हो गया !  

दोनों ने रंजना पर नज़र रखनी शुरू की और बहुत जल्दी विवेक की बात सही निकली, दीदी कॉलेज के एक नामी बदमाश विक्की के साथ घंटों गायब रहती थी ! विक्की के बारे मैं मशहूर था की बह भोली – भाली लडकियों को अपने जाल मैं फंसकर उनका सर्वस्व लूट लेता था, और कुछ मामलों मैं तो लड़कियों को blackmail भी करता था ! एक दिन कॉलेज की कैंटीन मैं संजू ने विक्की से अपनी बहन से दूर रहने को कहा! विक्की ने अपने सारे दोस्तों के सामने संजू से कहा, समझाना है तो अपनी बहन को समझा, जो हमेश मुझसे चिपकी रहती है, मुझे नहीं ! आइन्दा मुझसे इस प्रकार की बात की तो तुझे तगड़ा सबक सिखाऊंगा ! संजू के मन का आक्रोश बढ़ता जा रहा था, उसने फिर वही बात दोहराई, इस बार विक्की ने संजू मैं एक तमाचा जड़ दिया, संजू का ये अपमान उसके दोस्त विवेक से नहीं देखा गया उसने विक्की पर हमला बोल दिया, विक्की के सारे दोस्त विवेक को मारने के लिए दौड़े, अब संजू का आक्रोश ज्वालामुखी मैं बदल चुका था, दोनों दोस्त उन सब पर भारी पड़ने लगे, साथी और दोस्त मैं क्या फर्क होता है, ये विक्की को जल्द ही समझ मैं आ गया क्योंकि उन दोनों को विक्की पर हावी होता देख,विक्की के सारे साथी पीछे हट गए, मगर संजू का सच्चा दोस्त विवेक उसके साथ अकेला ही लड़ता रहा ! संजू ने विक्की की वो पिटाई की सारे कॉलेज को लोग देखते रह गए ! उसने उसे मार – मार कर खून से तर – बतर कर दिया ! कुछ professiors ने बीच मैं आकर विक्की को संजू से बचाया ! सभी को पकड़ कर प्रिंसिपल साहब के सामने लाया गया ! विक्की की हालत देखकर संजू और विवेक को इसका दोषी पाया गया, और दोनों दोस्तों को कॉलेज से निकाल दिया गया ! 


मामला घरवालों तक पहुंचा, संजू ने सारी बात अपने घरवालो को बताई ! पिताजी ने बेटी को बहुत समझाया, मा ने समझाया, बेटी ये गलत है, यदि तुम्हारा भाई तुम्हे गलत रस्ते पर जाने से रोक रहा है तो तुम्हे उसकी भावनाओं की कदर करनी चाहिए ! मगर संजना पर तो दूसरा ही भूत सवार था, उसे अब अपने भाई मैं अपना सबसे बड़ा दुश्मन नज़र आने लगा था ! रात मैं संजू की मा ने संजू के पिताजी से बात की और संजना के लिए कोई अच्छा सा लड़का ढूँढने के लिए कहा, पिताजी ने भी इसी मैं अपनी भलाई समझी ! अगले दिन से ही पिताजी ने बिटिया के लिए योग्य वर की तलाश शुरू कर दी ! शर्माजी की प्रतिष्ठा  को देखते हुए जल्द ही उनकी ये तलाश भी पूरी हुई, और उन्होंने संजना के लिए एक बढ़िया वर खोज निकाला, लड़का इंजिनीअर था, घर – परिवार भी अच्छा था ! सब कुछ तय हो चुका था, इसी महीने की २५ तारीख को शादी तय हो गई ! समय कम था संजू सबकुछ भुला कर अपने मित्र विवेक के साथ बहन की शादी की तैय्यारी मैं जुट गया !


यहाँ विक्की संजना का पीछा छोड़ना नहीं चाहता था, उसने संजना को बहला – फुसलाकर इस बात के लिए राजी कर लिया की वेह छुप कर शादी कर ले ! यहाँ शादी मैं मात्र १० दिन बाकी रह गए थे, शर्माजी अपनी तरफ से अपनी बेटी की शादी मैं कोई कसर छोड़ना नहीं चाहते थे ! मगर इस बीच संजना ने एक आत्मघाती फैसला ले लिया, उस रात बह चुपचाप से विक्की की योजनानुसार शादी के लिए बनवाए गए गहने, और जितने नकद पैसे मिले लेकर घर से गायब हो गई ! सुबह जब संजना को ढूँढा गया, तो सबके होश उड़ गए ! दादी को जैसे ही पता चला, पलंग पर धडाम से गिर पड़ी, शर्माजी को दिल का दौरा पड़ गया, बेटी का दिया ये जख्म वे बर्दास्त न कर सके! संजू को तो कुछ समझ ही नहीं आ रहा था ! इन सबके बीच मा ही कुछ हिम्मत दिखा रही थी ! कहते हैं नारी की सहनशक्ति पुरुषों से सौ गुना ज्यादा होती है, और इस विपरीत परिस्तिथि मैं संजू की मा अपनी उस सहनशक्ति का परिचय देते हुए, सबको सँभालने मैं लगी हुई थी !


मा ने अपने सारे रिश्तेदारों के यहाँ फ़ोन लगा कर संजना के बारे मैं जानने  की कोशिश  की मगर कहीं  पता नहीं चला, कुछ ही घंटों  मैं सारे शहर  मैं ये बात जंगल मैं लगी आग की भांति फ़ैल गई ! संजू बदहवास सा हो गया था उसे कुछ सूझ नहीं रहा था क्या करे! विवेक की सलाह पर सबसे पहले उसने अपने पिताजी को अस्पताल मैं भर्ती करवाया उनको दिल के दौरे की वजह से लकवा मार गया था, शरीर के एक हिस्से ने काम करना बंद कर दिया था ! दादी भी खटिया मैं मिल चुकी थी, कल तक जिन आँखों मैं पोती की शादी देखने की चमक थी आज वे आँखें पथराई सी लग रही थीं ! समय तेजी से निकलता जा रहा था, लड़के वालों तक भी खबर  पहुँच  चुकी थी, शादी टूट  चुकी थी ! अब  संजू सिर्फ अपनी  मा  की हिम्मत  की बजह  से ही     अपने पिताजी की देख रेख   कर कर रहा था ! कुछ दिन बाद  पिताजी घर  आ  गए  ! मगर  एक जिन्दा  लाश  की तरह  ! अपने बेटे  की ये हालत  संजू की बूढी दादी न  देख सकी और  2 दिन बाद उनका देहांत  हो गया ! संजू एक कठपुतली  की भांति इश्वर के रचे इस दुखद नाटक मैं अपना रोल अदा कर रहा था !


यहाँ कुछ समय बाद पता चला की संजना ने विक्की से विवाह कर लिया है, और दोनों वापस शहर मैं आ गए है ! संजना को भी अपने पिताजी की हालत और दादी की मौत की खबर मिली, उसे बहुत दुःख हुआ, और वेह विक्की से अपने घर जा कर अपने पिताजी से मिलने की जिद करने लगी! यहाँ संजू जो हमेश हँसता – खेलता रहता था, उसने कहीं भी आना-जाना छोड़ दिया था किसी से भी मिलने की अब उसकी इक्षा नहीं होती थी, बस अपने बीमार पिता की सेवा करता रहता था ! उसका एकमात्र दोस्त विवेक ही रोज उससे मिलने आया करता था ! उस रात भी संजू और विवेक अपनी छत पर बैठे हुए थे, जब संजना विक्की को लेकर घर आई ! मा ने देखा तो यकीन नहीं हुआ, मा का दिल चाहा की इसे दरवाजे से लौटा दे मगर, मा आखिर मा होती है, संजना के जिद करने पर उसने उसे पिताजी से मिलने की इजाजत दे दी !


संजू की छोटी बहन ने संजू को बताया दीदी पिताजी से मिलने आई है, दीदी का नाम सुनते ही संजू के अन्दर शांत बैठा ज्वालामुखी उबलने लगा, वेह नीचे जाने लगा तो विवेक ने उसे रोकने की कोशिश की मगर संजू गुस्से मैं नीचे आया ! दोनों का आमना- सामना पिताजी के कमरे से पहले ही हो गया ! संजू की आँखों से शोले बरस रहे थे, संजना भी उसका ये रूप देखकर कुछ सहम सी गई, जिस भाई की आँखों मैं हमेशा उसे प्यार और सम्मान नज़र आता था आज उसकी जगह नफरत ने ले ली थी !  संजू ने कहा मा इससे कहो वापस चली जाए, अब इसका इस घर से कोई नाता नहीं है! संजना जिद करने लगी मैं अपने पिताजी से मिले बिना नहीं जाउंगी ! मा इससे कहो वापस चली जाए ! इस बीच विवेक भी नीचे  आ गया, उसने संजू को पकड़ा बोला जाने दे यार, मिलके चली जायेगी ! संजना विवेक को देखकर बद्बदाने लगी, तुम हमारे घर के मामले मैं मत पड़ो, इस सबके पीछे तुम्हारा ही हाथ है तुम्हीं ने मेरे भाई को मेरे और मेरे पति के खिलाफ भड़काया है ! वर्ना ऐसा कुछ नहीं होता, जैश हुआ है! विवेक ने कहा दीदी आप मुझ पर गलत इल्जाम लगा रही हैं, अपने दोष दूसरों पर थोपने से अपने दोष कम नहीं होते! बस संजना ने एक थप्पड़ विवेक मैं जड़ दिया! संजू अपने आप को अब नहीं रोक सका उसने अपने सारी मान मर्यादा भुला कर, संजना पर थप्पड़ों की बरसात कर दी ! किसी की समझ मैं नहीं आ रहा था, आखिर अचानक ये क्या हो गया ! आवाजें सुनकर विक्की बीच – बचाव करने अन्दर आया, उसे देख संजू का खून और खौल उठा उसने विक्की को भी पीटना शुरू कर दिया ! वेह बदहवास सा हो दोनों को पीटे जा रहा था, उसके अन्दर के एक भोले इंसान की जगह किसी खूंखार जानवर ने ले ली थी ! इस बीच उसके हाथ मैं घर मैं रखी एक कुल्हाड़ी आ गई, संजू पर जूनून सवार हो चुका था, उसे कोई रोक नहीं पा रहा था, जो भी बीच मैं आया उसे उसने धक्का मार कर हटा दिया, वेह कुल्हाड़ी लेकर विक्की की और लपका, ये देख संजना उसके पैरों मैं लिपट गई, संजू ने कुल्हाड़ी हवा मैं लहराई और संजना के सर को निशाना बनाकर प्रहार किया ! मगर कुल्हाड़ी सर के नजदीक आकर रुक गई, संजू के जिस हाथ मैं कुल्हाड़ी थी, उसी हाथ की कलाई पर संजना ने बचपन से उसे राखी बाँधी थी, और अपनी रक्षा करने का वचन लिया था ! ये कैसी रक्षा कर रहा है तू, संजू के मन का भाई उसके अन्दर के शैतान से टकरा गया, संजू को अतीत की सारी यादें किसी फिल्म की भांति नजर आने लगी ! कुल्हाड़ी पर से संजू की पकड़ ढीली पड़ रही थी, उसके अन्दर के जन्म जात  अच्छे इंसान ने उसके अन्दर के शैतान को हरा दिया, उसने  कुल्हाड़ी फ़ेंक दी, मगर उसने फिर अपने बही शब्द दोहराए ……… मा इससे कहो यहाँ से चली जाए ! इस बार किसी को कहने की जरुरत नहीं थी, विक्की तुरंत ही संजना को लेकर भाग खड़ा हुआ ! संजू निढाल सा दीवार से टिककर जोर – जोर से रोने लगा ! मा ने उसे अपने गले से लगा कर उसके सर पर हाथ फिराते हुए सोफे पर बिठाया, विवेक भी उसके कंधे पर हाथ रखकर उसे हिम्मत दे रहा था ! इस बीच संजू की छोटी बहन सहमी सी अपने भाई के सामने पानी का गिलास लिए खड़ी थी, संजू ने उसकी ओर देखा और उसका हाथ पकड़कर अपने पास बिठा लिया, जिन आँखों मैं कुछ देर तक एक बहन के प्रति खून छलक रहा था, उसकी जगह फिर से भाई के स्नेह ने ले ली थी! संजू  ने अपनी छोटी बहन के सर पर हाथ फेरा और कहा तू कभी ऐसा काम नहीं करना जिससे की तेरे भाई को अपने सारे संस्कार त्याग कर ऐसा काम करना पड़े जिससे की उसका खुद अपनी नजरों मैं उठना ही मुश्किल हो जाए ! नहीं भैया नहीं कहते हुए उसकी छोटी बहन रोते हुए अपने भाई के सीने से लग गई……….


बक्त गुजरता गया संजू अपनी बहिन की दी हुई पीड़ा अपने पिताजी के रूप मैं देखता रहा और सहता रहा, उसकी मा अपने पति की हालत देखती थी और अपने गुमसुम बेटे को देखती थी, मगर किसी के सामने अपना दुःख व्यक्त नहीं करती थी. अच्छा खासा हँसता परिवार गम के अँधेरे मैं डूब चुका था, सारा परिवार एक चुपचाप मौत मर रहा था सिर्फ एक बेटी की बजह से क्या ये साइलेंट किलिंग नहीं हैं ?????????

 


इस कहानी को पढने के बाद मेरे कुछ सवाल हैं उन बुद्धिजीवी पाठकों से जिन्होंने इस कहानी को ध्यान से पढ़ा है !


मेरा पहला सवाल क्या मेरी कहानी का शीर्षक साइलेंट किलिंग सही है ?

क्या ये ओनर किल्लिंग रूपी सिक्के का दूसरा पहलु नहीं है ?

क्या मेरी कहानी का नायक संजू ओनर किल्लिंग का दोषी है ?

क्या संजना साइलेंट किल्लिंग की दोषी नहीं है ?


दोस्तों सवाल अभी भी बहुत सारे हैं, किन्तु इन सवालों के जवाव मैं बाद मैं मांगूंगा ! फिलहाल मैं कहना चाहता हूँ की तथाकथित ओनर किल्लिंग के गिने चुने मामले ही होते हैं, जिन्हें मीडिया बढ़ा चढ़ा कर पेश करता  है, मगर साइलेंट किल्लिंग की ओर  किसी का ध्यान ही नहीं जाता जबकि  भारत के हर गली मोहल्ले मैं आज  संजू और उसके परिवार जैसे लोग इस साइलेंट किल्लिंग का शिकार हो रहे हैं, मगर कोई भी व्यक्ति इसकी शिकायत करने वाला नहीं है, जो लोग इसका शिकार हैं वे खुद इस किल्लिंग का शिकार हो इसका  धीमा जेहर पीते रहते हैं मगर अपनी व्यथा किसी से कहते नहीं है, कानून मैं भी उनके खिलाफ हुए इस अत्याचार के लिए कोई धारा नहीं है, क्योंकि ओनर किल्लिंग के शिकार लोगों के जख्म ऊपर से दिखाई देते हैं, मगर साइलेंट किल्लिंग के शिकार लोगों के जख्म दिखाई नहीं देते, ये सिर्फ सहने वाला ही जानता है की जख्म कितना गहरा है !

 

मै पूछता हूँ, जिस बाप ने बचपन से ऊँगली पकड़ कर तुम्हे चलना सिखाया, तुम्हारी जिन्दगी का हर फैसला उसने लिया, तो फिर शादी करने का फैसला उसे करने का हक़ नहीं है ? क्या हक़ बनता है किसी लड़की को जो अपने बाप और अपने परिवार को सिर्फ अपने स्वार्थ के लिए ऐसे अँधेरे मैं धकेल दे ? क्या अपनी ख़ुशी के लिए ऐसा करना स्वार्थ नहीं है ? क्यों मर जाती है ऐसी लड़कियों की त्याग की भावना जिस त्याग के लिए हमेश नारी का उदाहरण दिया जाता है ! क्या अपनी मर्जी से शादी करने बाली लड़कियां हमेश सुखी रहती हैं ? क्या मा-बाप द्वारा ढूंढें गए वर हमेशा गलत होते हैं ?

 

सवालों का अंत नहीं है मेरे पास जवाव सिर्फ ऐसी भटकी हुई लड़कियों के पास ही है, जो एक उम्र विशेष मैं विपरीत लिंग के साथी के प्रति पैदा हुए स्वाभाविक आकर्षण को प्यार समझ अपने जन्म देने वालों के सारे प्यार को भुला कर उन्हें साइलेंट किल्लिंग का शिकार बना रही हैं ! 

 

लेख का अंत मैं इस मंच की अपनी साथी प्रतिभाशाली लेखिका रौशनी जी की एक रचना बाबुल के नाम की चंद पंक्तियों से करना चाहूँगा, जिसे पढ़कर अगर एक भी ऐसी भटकी लड़की इससे सबक ले सके तो मेरा ये लेख और मेरी साथी लेखिका की ये कविता सार्थक हो जाए ! और तथाकथित ओनर किल्लिंग और साइलेंट किल्लिंग जैसी स्तिथि ही न बन पाए !

 

बाबुल मै अब जा रही हूँ,

 तू अपना ख्याल रखना,

———–

तुने कहा था बेटी, दस्तूर बना है जहाँ से ,

डोली उठी यहाँ से-अर्थी उठेगी वहां से,

मै आज मर रही हु कब तक ये सितम सहती

तुझे वचन दिया था तुझे कैसे दुःख ये देती……..

तुने कहा था बाबुल- मेरी लाज रखना

बाबुल मै अब जा रही हूँ

तू अपना ख्याल रखना

रोना न बाद मेरे, बस मुझको याद रखना…

………….


 



  

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